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दूसरे दिन दोनो पक्षों में भयानक युद्ध हुआ। रावण ने लक्ष्मण पर कई शस्त्र चलाए । किन्तु लक्ष्मण ने उन्हें रोक लिया। काफी देर के युद्ध के बाद लक्ष्मण ने चक्र चलाया जिससे रावण का वक्षस्थल फट गया और वह भूमि पर गिर पड़ा।
हे विद्याधरों ! तुमने देखा कि पंडितों के बैरी का क्या फल होता है। रावण एक पराक्रमी योद्धा था,
इसलिए इसका उत्तम संस्कार करो।
रावण के मरने पर मन्दोदरी आदि आकर विलाप करने लगी। श्रीराम के आदेश से, बंदी बनाए गए कुंभकरण, इन्द्रजीत, मेघनाद आदि को मुक्त कर दिया गया। किन्तु उन लोगों ने जैनेश्वरी दीक्षा ली और कठिन तप करने वन में चले गए।
जैन चित्रकथा
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