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उधर श्रीराम की विशाल सेना आ चुकी थी। अस्तु विभीषण श्रीराम जी से जा मिला। रावण भी युद्ध के लिए आगया। दोनों सेनाओं में घमासान युद्ध होने लगा। देखो हनूमान ! मेरे आशीबिष नागबाण ने इन्द्रजीत और मेघवाहन को अचेत कर दिया।
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हे भाई! तूने मेरे लिए अपने प्राणों को दांव पर लगा दिया। तुझे माता-पिता ने मुझे सौंपा था, अब मैं क्या जवाब दूंगा। उठ मेरे भाई ! मुझसे
बात कर।
कुंभकर्ण ने सेना पर आक्रमण किया तो राम ने सूर्यबाण से उसे ध्वस्त कर दिया। तब रावण ने लक्ष्मण पर शक्ति बाण चलाया जिससे लक्ष्मण अचेत होकर गिर पड़े। श्रीराम लक्ष्मण को अचेत देखकर विलाप करने लगे।
हे देव! आप दुख न करें। मैं विद्याधर हूं। लक्ष्मण अभी जी उठेंगे। महाराज भरत से गंधोदक जल लाना होगा। उससे ये जी
उठेंगे।
जैन चित्रकथा