Book Title: Mahabali Hanuman
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 28
________________ इस दुष्ट वानर को ले जाओ और इसकी दुर्दशा कर नगर में फिराओ। रावण का यह आदेश सुन हनूमान जी बंधन तोड़कर आकाश में उड़कर अंतरध्यान हो गए। चूडामणि सापानकमार ! सीता का हनूमान जी सीधे किहकंधापुर आए और श्रीराम को सीता का |मार्गशीर्ष वदी पंचमी के दिन श्रीराम और लक्ष्मण ने विद्याधरों को साथ लेकर सूर्योदय के समय लंका के लिए प्रस्थान किया। यह हे देव! हाल कहो। वह कैसी है ?) माता सीता ने समाचार सुन विभीषण रावण के पास गया। बहुत कष्ट से प्राण हे भाई! तुम्हारी कीर्ति पूरी पृथ्वी पर बचा रखे हैं। अब फैली हुई है। किन्तु परस्त्री को रखने के आप जो करना है| कारण वह कीर्ति पलभर मे नष्ट होजायगी। शीघ्र करें। सो, हे रावण सीता को तुरंत लौटा दो। अपनी सीख अपने पास रख विभीषण रावण किसी से नहीं डरता। 26 महाबली हनूमान

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