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अब हनूमान जी पुष्पक उपवन में आए। यहां उपवन के रखवाले राक्षसों से उन्होंने युद्ध कर उन्हें पराजित किया।
IILJIY
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यह सुन रावण क्रोध से भर उठा।
हनूमान का इतना साहस कि मेरा मायावी यंत्रतोड़ कर लंकापुरी में उपद्रव मचा रहा है। मेघनाद और इन्द्रजीत ! तुम दोनों जाओ और हनूमान को पकड़ लाओ।
महाराज!
जैन चित्रकथा
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