Book Title: Mahabali Hanuman
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 24
________________ हनूमान जी ने अपना परिचय देकर सीता जी को श्रीराम का कुशल समाचार सुनाया। मंदोदरी ने हनूमान जी को पहचान लिया। आश्चर्य है कि जो रावण तुम्हें भाइयों से ज्यादा चाहता है, उसके शत्रु के तुम दूत बनकर आए हो। DOCUAG 200IDOS मुझे भी आश्चर्य है मन्दोदरी कि तूं अपने पति के बुरे कार्य का समर्थन कर रही है, उसे रोकती नहीं। या हे माता। आप मेरे कंधे पर बैठ जाइए। मैं इसी क्षण आपको यहां से ले चलता हूँ। फिर हनूमान जी के आग्रह पर सीता माता ने आहार ग्रहण किया। हे भाई, पति की आज्ञा के बिना मेरा गमन करना ठीक नहीं। वह यदि, बोले कि बिना बुलाए क्यों आई) तो मैं क्या उत्तर दूंगी। उन्हें मेरी यह चुडामणी देना। उनसे कहना कि अब आपके यत्न से ही मिलाप होगा। SRIDORE MANTALIANA GGOOOOO महाबली हनूमान

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