Book Title: Mahabali Hanuman
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 23
________________ हनूमान जी ने लंका में प्रवेश किया। सबसे पहले वह विभीषण से मिले। ACAME अब मैं प्रथम वन में जाकर पहले सीता जी के दर्शन करूंगा। मैंने भाई रावण को बहुत समझाया, पर वह मानता ही नहीं। आज ग्यारहवां दिन है। सीता ने कुछ नहीं खाया। फिर भी रावण को दया नहीं आती। AP RODOALID आज तो तुम बहुत प्रसन्न हो। अब रावण को भी प्रसन्न कर दो। हनूमान जी ने दूर से ही सीता जी के दर्शन किए। उन्होंने प्रण किया कि इन्हें मैं श्रीराम से मिलाकर ही दम लूंगा, चाहे मेरे प्राण चले जाएं। उन्होंने अपना रूप बदला और सीता जी के पास श्रीराम की मुद्रिका डाल दी। मुद्रिका देख सीता जी प्रसन्न हो गयी। तभी वहां मंदोदरी आ गयी। रे दुष्टा आज मेरे पति का संदेश आया है, इसलिए प्रसन्न हूँ। हे भाई, जो मुद्रिका लाया है, वह प्रकट होकर दर्शन दे। LIKA incerca तब हनुमान जी प्रकट हुए। 105 जैन चित्रकथा 21

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