Book Title: Mahabali Hanuman
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 21
________________ मार्ग में राजा महेन्द्र का नगर देखा तो अपनी मां के साथ वहां हुए अपमान का स्मरण हो आया । क्रोध में| आकर उन्होने राजा महेन्द्र को ललकारा और उसे युद्ध में पराजित कर उसे पकड़ लिया। हे पुत्र ! तुम सचमुच महाबली हो। मुझे तुम पर गर्व है। . या ठीक है। जब तक मैं लंकापुरी होकर आता हूं, तुम किहकंधापुर जाकर श्रीराम की सेवा करो। मार्ग में दधिमुख नामक द्वीप आया। हनूमान जी के वहां पहुंचने पर उन्होने दो मुनियों को जलते देखा तो उन पर जल वर्षा कर उनका कष्ट दूर किया । हनूमान जी के वहां आने से तीन कन्याओं की विद्या सिद्ध हो गयी। वे राजा गंधर्व की पुत्रियां थीं। वह हनुमान जी के पास आया और श्रीराम की कथा सुनी। वह तीनो पुत्रियों को लेकर किहकंधापुर चला गया। 300GOdho, जैन चित्रकथा

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