Book Title: Mahabali Hanuman
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 18
________________ राम वापस लौटे तो सीता वहां न थी। उधर खरदूषण को | | किहकंधापुर में राजा सुग्रीव की रानी सुतारा पर साहसगति नामक एक मारकर लक्ष्मण लौटे सीता माता को न पाकर वह भी राम के | विद्याधर मोहित हो गया। वह सुग्रीव का कृत्रिम रूप बनाकर राज्य करने साथ शोक में डूब गए। लगा और सत्य सुग्रीव को मार भगाया। कृत्रिम सुग्रीव को सत्य सुग्रीव तो क्या, हनूमान जी भी न मार सके। सीता को खोजते हुए राम लक्ष्मण किहकंधापुर पहुंचे तो सुग्रीव ने सारा कष्ट उनसे कहा। हे सुग्रीव ! चिन्ता न कर। उस) हे प्रभो ! यदि मैं सात दिन में। विद्याधर को मैं मारकर तेरी स्त्री सीता जी की खबर लाकर न और राज्य दिला दूंगा। इसके दूं तो मैं अग्नि के प्रवेश कर बाद तुम सीता की खोज में जाऊंगा। हमारी सहायता करना। राम और लक्ष्मण ने किहंकधापुर जाकर कृत्रिम सुग्रीव को युद्ध के लिए | श्री राम ने कृत्रिम सुग्रीव को फिर युद्ध के लिए बुलवाया। इस बार वह ललकारा । वह गदा लेकर बाहर आया। दोनो सुग्रीवों में युद्ध होने | स्वयं सुग्रीव बन गए और सत्य सुग्रीव को छिपा लिया। कृत्रिम सुग्रीव लगा। कृत्रिम सुग्रीव ने सत्य सुग्रीव के सिर पर ऐसा गदा मारा कि वह || ज्यों ही आया कि श्रीराम को देखकर उसकी वैताली विद्या भाग गयी बेहोश होकर गिर पड़ा। कृत्रिम सुग्रीव चला गया। और वह विद्याधर के रूप में आ गया। श्रीराम ने एक ही बाण से उसे तुम दोनो का एक-सा रूप) मार गिराया। हे रामचन्द्र जी! देखकर पहचानने में भम्र आपने उसे मारा हो गया। चिन्ता न करो। क्यों नहीं? अब वह न बचेगा। UCg L/ 16 महाबली हनुमान

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