Book Title: Mahabali Hanuman
Author(s): Rekha Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 17
________________ लक्ष्मण को पता भी न चला कि बांस के साथ किसी का सिर कटा है। उधर जब चंद्रनखा भोजन लेकर आई तो बेटे का कटा सिर देखकर विलाप करने लगी। फिर वह गुस्से से भरी हुई सिर काटने वाले शत्रु को ढूंढने निकली। मार्ग में रामचन्द्र जी और लक्ष्मण मिले। मैने खड्ग उठाया है। जिसने भी यह खड्ग उठाया है, | पर मैं तेरे विवाह प्रस्ताव वह महान् वीर है। मैं रूपसुंदरी को ठुकराता हूँ। जा उससे विवाह का प्रस्ताव करती हूँ। यहां से ..... इस प्रकार अपमानित होकर चन्द्रनखा पति के पास आयी उसने पति खरदूषण से पुत्र-वध का समाचार कहा तो खरदूषण सेना लेकर लड़ने के लिए आगया। भैया राम ! आप यहीं रूकें। मैं जाकर निपटता हूँ। यदि कोई संकट हुआ तो सिंहनाद करूंगा। तब आप सहायता के लिए आ जाना .... उधर रावण को भी खरदूषण ने संदेश भेजा था। रावण | | रावण ने छल करने के लिए सिंहनाद किया। जिसे सुन राम सीता को छोड़कर विमान पर बैठकर आया। उसने राम-सीता को देखा। सीता|| लक्ष्मण की सहायता के लिए दौड़े। अवसर पाकर रावण ने सीता को महासती को देखकर मोहित हो गया। उसने अवलोकनी || पकड़कर विमान पर बिठाया और ले चला। उधर लक्ष्मण ने किसी के द्वारा विद्या से जान लिया कि लक्ष्मण क्या कह कर गए हैं। यानि || किया छल बताया और राम को तत्काल सीता की रक्षा के लिए भेजा। राम के जाने के बाद सीता अकेली होगी। जैन चित्रकथा

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