Book Title: Mahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059 Author(s): Sanmatimuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 4
________________ महाबल मलया सुन्दरी अगलीप्रातःराजाराजसभा में जाने को तैयार होरहा। राजा तुरन्त रानी के महल में पहुंचा। रानी चम्पकमाला था तभी एक दासीभागती हुईराजा के पास आई- | बेहोश पड़ी थी। राजा ने उसे झकझोरामहाराज! महारानी क्या रानी जी को.... हुआ ? उठिए..... कुछ हो गया? आँख खोलिए। 10/0/6/ परन्तु रानी ने आँखों नहीं खोली। तब तक राजवैद्य आ गये थोरानी की नाड़ी देखी तो हाथ हिलाकर उदास स्वर में बोले booo9 booog राजन! कुछ नहीं रहा.......। Qogue क्या रानी नहीं रही? अब मैं भी जीवित रहकर क्या करवंगा। राजा बच्चों की तरह रोने लगा। मंत्री. पुरोहित आदि राजा को सांत्वना देने लगे। संध्या तकरानीकी चिता लेकर लोग नदी तट पर आये। चन्दन कीचिता पररानी का शवरखा। तभीराजाकी नजर पासकीनदी में बहते हुये एकसंढकपरपडी। राजा ने कहाMarad अरे...देखो जरा ! इस सन्दूक में क्या है? . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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