Book Title: Mahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Author(s): Sanmatimuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ इधर रानी कनकमाला जंगल में भटकती हुई चोरों के सरदार के हाथ लग गई और उसके साथ रहने लगी। एक दिन उसके मन में मलया से बदला लेने का विचार | आया। उसने चोरों के सरदार को उकसाया चन्द्रावती नगरी के राजा की पुत्री मलया अपूर्व सुन्दरी है। वह प्रत्येक पूर्णिमा को पहाड़ी पर स्थित कामदेव मन्दिर में पूजा करने जाती है। "अच्छा! इतनी सुन्दर है, तो उसे मैं अपनी रानी बनाऊँगा। | एक रात मौका देखकर मलया अकेली जंगल में भाग निकली। दस्युराज के साथी चोर भी उसका पीछा करते | हुए आ पहुँचे। वे मलया को पकड़कर ले जाने लगे। मलया | चिल्लाई Vo Malw महाबल मलया सुन्दरी मलया मैं आ गया। Sg मेरी रक्षा करो ! मुझे बचाओ ! महाबल कुमार तुम कहाँ हो ? By यह दुष्ट कौन है ? मारो इसे । महाबल पेड़ से नीचे कूदकर चोरों का मुकाबला करने लगा। Jain Education International For Priv 13 मौका देखकर दस्यु राजा ने मलया का अपहरण कर लिया। बोला चल ! मैं तुझे अपनी पटरानी बनाऊँगा। जो माँगेगी वही दूँग दस्युराज ! एक सप्ताह का मेरा व्रत है। तब तक मुझे स्पर्श मत करना। फिर तुम जैसा कहोगे, वैसा करूँगी। सरदार ने मलया की बात मान ली। कुछ ही देर में महाबल ने युद्ध करके चोरों को भगा दिया। राजकुमार ! आप अचानक यहाँ कैसे ? मलया! मैं एक चोर का पीछा करता हुआ जंगल में आया था। रात गुजारने के लिए पेड़ पर बैठा था। फिर महाबल ने हार चोरी की पूरी घटना सुनाई। मलया को लेकर नगर की तरफ चल पड़ा। Personal Use Only jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36