Book Title: Mahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Author(s): Sanmatimuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 13
________________ महाबल मलयासुन्दरी राजा दौड़कर आया और आकर दरवाजा पीटने लगाराजकुमारी दरवाजा हे भगवान! डरो मत, खोलो ! कमरे में महाराज की सब ठीक कौन है। आवाजा अब क्या होगा। होगा? महाबलने देव द्वारा दी विद्यासेरानी चम्पकमाला कारूपधारण कर लिया। SION THAN அவன் मलया ने दरवाजा खोला। महाराज कनकमाला के साथ भीतर घुसेरानी चम्पकमालारूपी महाबल ने उठकर स्वागत कियामहाराज! आधी महारानी! यही रात में आप यहाँ? प्रश्न हम आपसे क्या बात है? पूछना चाहते हैं? महाराज! मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं मलया से बातें करने यहाँ आ गई। ००० S00004 oyoxOC हे....? अन्द र यह कैसे? मैंने तो पृरुषकी आवाज सुनी थी। ठीक है महारानी, आप बातें करें हम जारहे हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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