Book Title: Mahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Author(s): Sanmatimuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृत दिवाकर चित्रकथा जयपुर भारती अंक 59 मूल्य 20.00 मलयासुन्दरी ना अकादमी SCGENELODA PEARA LETara TRILOK CON सुसंस्कार निर्माण C विचार शुद्धि : ज्ञान वृद्धि मनोरंजन S angita Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 महाबल मलया सन्दरी III किसी अनुभवी की उक्ति है जो ताकू कांटा बुवै ताहि बोव तू फूल । तुझे फूल का फूल है, वाकू है तिरशूल।। . संसार का नियम है बुराई करने पर वह बुराई सौ गुनी लौटकर आती है और भलाई करने पर भलाई भी हजार गुनी बनकर आती है। आश्चर्य तो यह है कि इस सत्य-तथ्य को समझते हुए भी मानव दूसरों के लिए गड्ढा खोदता रहता है। वैर, द्वेष, ईर्ष्या आदि क्षुद्र भावों के वश मानव दूसरों का अनिष्ट करने का दुश्चक्र चलाता रहता है। किन्तु अन्त में परिणाम होता है जो शूल दूसरों के लिए बिछाये, वे उसी के पाँवों में चुभते हैं और त्रिशल की तरह उसके हृदय को भेदते-वेधते-चीरते रहते हैं। वीरधवल राजा की रानी चम्पकमाला बड़ी शीलवती धर्मपरायणा थी, तो दूसरी रानी कनकमाला कठोर स्वभाव की ईर्ष्यालु और नु और सदा दूसरों का अहित करने की दुर्भावाना में जलती थी। चम्पकमाला की पुत्री मलया, सुन्दरी भी अपनी माँ के समान शील, धर्म, सहिष्णुता आदि गुणों की जीवंत मूर्ति थी। राजा सूरपाल का पुत्र 'मलयकुमार' एक धर्मनिष्ठ, सदाचारी और परोपकारी वीर युवक था। महाबल थ में विमाता कनकमाला ने पग-पग पर उसे हर प्रकार से दःख देने और कष्टों की आग में जलाने का प्रयत्न किया। किन्तु महाबल मलया जैसे धर्मनिष्ठ सदाचारी सत्पुरुषों ने उन शूलों को भी फूलों । में बदल दिया। जीवन में आये तूफानी झंझावतों का साहस और सूझबूझ के साथ सामना किया। विमाता द्वारा किये गये सभी अपराध क्षमाकर महानता का परिचय दिया। एक ने नीचता करने में कमी नहीं रखी तो दूजे ने उदारता का परिचय देकर अपनी महानता को स्थापित किया। अन्त में महाबल-मलया सुन्दरी की नीति और धार्मिकता की जीत हुई। ____ इस अत्यन्त रोचक और प्रसिद्ध पौराणिक कथा के आधार पर श्रमण सन्मति मुनि जी म. 'साहिल' ने सरल, सहज भाषा में यह शब्दांकन किया है। मुनिश्री स्थानकवासी समाज के बहुश्रुत विद्वान् युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी म. सा. के शिष्य श्री विनय मुनि जी म. के शिष्य हैं। आप एक कवि, गीतकार, प्रभावशाली वक्ता और क्रांतिकारी विचारक संत हैं। -महोपाध्याय विनय सागर -श्रीचन्द सुराना 'सरस' - लेखक : श्रमण सन्मति मुनि जी म. 'साहिल' - सम्पादक: प्रकाशन प्रबंधक : चित्रांकन : श्रीचन्द सुराना 'सरस' । संजय सुराना सत्य प्रकाश तिवारी प्रकाशक श्री दिवाकर प्रकाशन ए-7, अवागढ़ हाउस, अंजना सिनेमा के सामने, एम. जी. रोड, आगरा-282 002. फोन : 0562-2851165 सचिव, प्राकृत भारती अकादमी,जयपुर 13-ए, मेन मालवीय नगर, जयपुर-302 017. फोन : 2524828, 2561876, 2524827 अध्यक्ष, श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर (राज.) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाना महाबलमलगा सन्दरी चन्द्रावती नगरी के राजा वीरधवल की दो रानियाँ थीं-चम्पकमाला और | कनकमाला। एक दिन संध्या के समय राजा महल की छत पर खड़ा किसी विचार में डूबा हुआ था। अचानक शनी चम्पकमाला बोली महाराज! मैं बहुत देर से देखा रही हूँ, आप किसी विचार में डूबे हैं? ऊं...कुछ नहीं. बस ऐसे ही.. ecoce (Lo 03/2rR महाराज ! मैं आपकी चिन्ता का | कारण जानती हूँ। संतान का अभाव ही आपका सबसे बड़ा दुःख है। यह सब भाग्य की बात है, आपने संतान के लिये दूसरा विवाह भी किया, परन्तु फिर भी आपकी चिंता दूर नहीं हुई। आप ठीक ही कहती महाराज! जब फल पाना हमारे हाथ में हैं। प्रयत्न करना हमारा | नहीं है, तब आप चिंता क्यों करते हो? काम है, फल पाना जिनेश्वर देव की पूजा भक्ति कीजिए। हमारे हाथ नहीं हैं। नमोकार मंत्र जपिए। हमारे कष्ट अवश्य ही दूर होंगे। Voodo GOO0 COGO .OOo 200TQIOJO पठण्0000 JE p ation International For Privite & Personal Use Only nelibrary.org Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलया सुन्दरी अगलीप्रातःराजाराजसभा में जाने को तैयार होरहा। राजा तुरन्त रानी के महल में पहुंचा। रानी चम्पकमाला था तभी एक दासीभागती हुईराजा के पास आई- | बेहोश पड़ी थी। राजा ने उसे झकझोरामहाराज! महारानी क्या रानी जी को.... हुआ ? उठिए..... कुछ हो गया? आँख खोलिए। 10/0/6/ परन्तु रानी ने आँखों नहीं खोली। तब तक राजवैद्य आ गये थोरानी की नाड़ी देखी तो हाथ हिलाकर उदास स्वर में बोले booo9 booog राजन! कुछ नहीं रहा.......। Qogue क्या रानी नहीं रही? अब मैं भी जीवित रहकर क्या करवंगा। राजा बच्चों की तरह रोने लगा। मंत्री. पुरोहित आदि राजा को सांत्वना देने लगे। संध्या तकरानीकी चिता लेकर लोग नदी तट पर आये। चन्दन कीचिता पररानी का शवरखा। तभीराजाकी नजर पासकीनदी में बहते हुये एकसंढकपरपडी। राजा ने कहाMarad अरे...देखो जरा ! इस सन्दूक में क्या है? . Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलयासुन्दरी सेवकों ने सन्दूक नदी से निकाला और उसे खोला। सभी चौंक पड़े। अरे! रानीजी तो मूर्च्छित पड़ी हैं? तब तक चिता से धुंआ उठकर आकाश की तरफ जाने लगा। शव वहाँ सेगायब था। 'अरे! यह क्या माया है? तो फिर चिता पर कौन है ? कुछ देर बाद रानी को होश आ गया। वह सन्दूक से बाहर निकलकरपेड़ के नीचे बैठगई। उसने बताया महाराज! मैं प्रातः वन-श्वमण के लिए गई थी, उसी समय किसीराक्षस ने मुझे उठा लिया। और एक विशाल गुफा में ले जाकर पटक दिया। वह बोलामैं शाम तक लौटकर वापस आऊँगा और तेरे साथ विवाह रचाऊँगा। तब तक तू यहीं रह। anArch ceo fo7/गा ON HGठन इतना कहकर राक्षस कहीं चला गया। Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुफा में रानी चम्पकमाला अकेली घूमने लगी। रानी को वहाँ भगवान ऋषभदेव की स्फटिक प्रतिमा दिखाई दी। रानी वहीं बैठकर भगवान ऋषभदेव का ध्यान करने लगी Cotaxy www Cice M xxxc प्रभो ! इस विकट संकट की घड़ी में आप ही मेरे रक्षक हैं। तारणहार हैं। मेरे शील की रक्षा कीजिए प्रभो ! ४ महाबल मलया सुन्दरी Mit 60000 मैं तेरी रक्षा करने ही तो आई हूँ। बोल और क्या चाहिए ? एक प्रहर तक प्रार्थना करने के पश्चात् अचानक एक दिव्य स्वरूप रानी के सामने प्रकट हुआ oa 4 पुत्री ! मैं भगवान की शासन सेविका चक्रेश्वरी देवी हैं। तेरी भक्ति से प्रसन्न हूँ। तुझे जो चाहिए वर माँग ले। माता ! मेरी गोद अभी तक खाली है। बस और कुछ भी चाहत नहीं है। माता ! मेरे शीलधर्म की रक्षा कीजिए। मुझे इस संकट से उबारिए। अब समय आ गया है। तू एक पुत्र और पुत्री की माँ बनेगी। Do mmm M Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलयासुन्दरी माँ, इस राक्षस राक्षस मेरे डर से अब यहाँ नहीं फिर देवी ने रानी को लकड़ी की पेटी में लिटा दिया। से मेरा उद्धार आयेगा। ले यह 'लक्ष्मी पुंज' हार कैसे होगा? तुझे देती हूँ। यह चमत्कारी हार और जब मेरी है। इसे अपने पास रखना। आँख खुली तो मैं यहाँ थी। MOOL 100 देवी की कृपा से आप सकुशल लौट आईं। इसके पश्चात् राजा-रानी तथा सभी लोग प्रसन्नतापूर्वक नगरवापस आ गये। लगभग एक वर्ष पश्चात् रानी ने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। उसके पश्चात एक पुत्री को और जन्म दिया। उत्सव मनाया गया। रानी ने कहा इसका नाम मलया सुन्दरी रखेंगे। रानी चम्पकमाला राजा की परम चहेती हो गई और छोटी रानी कनकमाला उपेक्षिता। इससे कनकमाला मन ही मन सौतिया डाह से जलती रहती। कछ समय से महाराज मेरी उपेक्षा करने लगे हैं। बस चम्पकमाला की ही हर बात मानते हैं। हमेशा उसी के पास रहते हैं। tolonale VOOD OD वाह ! अति सुन्दर, मलयकेतु की बहन मलयासुन्दरी FAROTA Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | बीस वर्ष पश्चात् वीरधवल के एक परम मित्र थे प्रतिष्ठानपुर के राजा सूरपाल। उनका एक पुत्र था 'महाबल'। एक दिन राजकुमार महाबल वनों में भ्रमण कर रहा था। तभी उसे प्यास लगी। सामने सुन्दर झरना है। रुककर पानी पी लेता हूँ। महाबल नें सुन्दरी को देखा और फिर उपेक्षा से वापस | जाने लगा। सुन्दरी ने फिर पुकारा तो राजकुमार ने सोचा इतनी निर्लज्ज नारी । अवश्य यह कामाकुल है। काम का वेग किसी को भी बेशर्म और पतित कर सकता •महाबल मलया सुन्दरी पुण् रुको राजकुमार ! मैं यों ही तुम्हें वापस नहीं जाने दूँगी। मेरा प्रणय स्वीकार करना ही पड़ेगा ! उसने शीतल, मधुर पानी पीया। तभी उसने देखा वहाँ एक दिव्य सुन्दरी उसके सामने खड़ी मुस्करा रही है। सुन्दरी | पास आई। बोली forr महाबल ने पलटकर कहा सुन्दरी ! तुम कौन हो, मुझे नहीं पता ? लेकिन कुलीन पुरुषों के लिए स्त्रियाँ माता और बहन तुल्य होती हैं। WW युवराज! तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो। आओ, मेरे पास...! 6 www. very Shas मेरा तिरस्कार मत करो। जानते हो, तिरस्कृत नारी नागिन होती है। Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलयासुन्दरी महाबल ने चुपचाप पीठ फेर ली और लौटने लगा। तभी | |सुन्दरी ने राजकुमार की तरफ इशारा किया। देव सुन्दरी चिल्लाने लगी और एक देव प्रकट हुआ राजकुमारकेपास आया और मुस्कराते हुए बोलायह दुष्ट मेरी लाज क्या बात है प्रिये! डरो मत ! मैंने इस दुष्टा मुझे कुछ नहीं लूटकर जा रहा है। किसने तुम्हारे ऊपर ||का सब नाटक देख लिया है। चाहिए। बस इन्हें बुरी नजर डाली? | तुम्हारी धर्म परायणता भी क्षमा कर देना। देखी है। मैं तुमसे प्रसन्न हूँ। जो चाहे माँग लो। M उहाय MOG 10 OCODIN AGICIOO देव ने कहा देव दर्शन कभी व्यर्थ नहीं जाता। मैं तुम्हें तीन विद्याएँ देता हूँ। पहली विद्या से तुम अपना मनचाहा रूप बना सकते हो। दूसरी वशीकरणी विद्या से अपने शत्रुओं को वश में कर सकते हो। और तीसरी इस गुटिका को आम के रस में घिसकर जिसे तिलक करोगे, उसका मन चाहारूप बदल जायेगा। JOOOO Doo DOOR इसके पश्चात देव और सुन्दरी आकाश में उड़ गये। महाबल वापस नगरमें आगया। Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ •महाबल मलया सुन्दरी प्रतिष्ठानपुर राजदरबार एक दिन राजा सूरपाल ने अपने महामंत्री से कहा महाराज आपकी आज्ञा हो तो मैं भी चन्द्रावती देखना चाहता हूँ। ७७ we राजा ने महाबल को भी स्वीकृति दे दी। राजकुमार और महामंत्री चन्द्रावती आये। राजा को उपहार भेंट किये। राजा ने महाबल को देखकर पूछा महाराज ! यह भी मेरा साथी एक सभा रत्न है। 7 इस वर्ष के अष्टान्हिक महोत्सव पर हम अपने मित्र राजा वीरधवल के लिए कोई उपहार भेजना चाहते हैं। आप स्वयं यह उपहार लेकर चन्द्रावती जाईये। ลดกลม क्या अद्भुत सौन्दर्य है ! क्या कोई देव कन्या है ? मंत्री ने राजकुमार महाबल का असली परिचय छुपा लिया। सायंकाल राजकुमार महाबल अकेला ही चन्द्रावती नगरी में भ्रमण करने निकला। महल के गवाक्ष में एक सुन्दरी कन्या खड़ी नगर की शोभा देख रही थी। राजकुमार ने महलों की तरफ ऊपर नजर उठाई तो राजकुमारी पर | उसकी दृष्टि टिक गई। O ENCICS महामंत्री जी ! यह वीर नर-रत्न आपके साथ कौन है ? ओह कितना सुन्दर पुरुष है यह। क्यों मेरी नजरें उस पर से नहीं हट रही हैं। Cele 8 Ser Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलया सुन्दरी दोनों की नजरें मिलीं। पूर्व जन्मों के स्नेह का अज्ञात सुप्त तार महाबल ने पत्र लपक लिया और एकान्त स्थान झंकृत हो उठा। बहुत देर तक नजरेंपरस्पर टकराती रहीं। स्नेह परआकरपत्र पढ़ने लगा। की बिजली झनझनाती रही। राजकुमारी मलया ने प्रेम निमंत्रण प्रिय ! तुम्हें देखकर मेरे हृदय में प्रेम के पुष्प का एक पत्र ऊपरसेफेंका। पल्लवित हो रहे हैं। मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार करके रात्रि में आकर मुझसे मिलो। प्रिय! यह तुम्हारे लिये। Tota OL515 पत्र पढ़कर महाबल ने सोचा जीवन मे आज पहली बार किसी स्त्री के प्रति मन आकर्षित हुआ है। वह भी मुझे चाहती है। | फिर विचार बदले इस प्रेमजाल से रे कहीं कोई अनर्थ तो) नहीं हो जायेगा...?) नहीं! हृदय कहता है, यह प्रेम पवित्र ही होगा। सब ठीक ही होगा। GO Gi 003 (O NN VOJO मध्य रात्रि के समय राजकुमार पत्र में दिये संकेतित मार्ग से चुपचाप राजकुमारी के शयनकक्ष में पहुंच गया। Hain Education International wwwsan fibrary.org Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलयासुन्दरी राजकुमारी जाग रही थी। उसने स्वागत किया राजकुमारी ने प्रणय निवेदन कियाआइये कुमार! मैंने आपको अपना सर्वत्र समर्पण कर दिया है। आपका स्वागत अब गंधर्व विवाह करके मुझे अपने साथ ले चलिए। यह लक्ष्मीपुंज हार आपके गले में डालकर आपको अपना पति स्वीकार करती हूँ। राजकुमारी के कक्ष में कोई है। मुझे पता करना चाहिए। PPSC राजकुमारी! तुम्हारा पवित्र प्रेम मुझे यहाँ ले आया | उसने दिव्य हार महाबल के गले में डाल दिया। कनकमाला ने सोचा हे भगवान ! राजकुमारी विवाह | कर रही है। आज मौका है। अपनी सौत और उसकी लड़की से पुराना बदला चुका लूँ। | उसने तुरन्त जाकर महाराज को जगाया। महाराज ! जल्दी उठिये। राजकुमारी के कमरे में कोई पुरुष है। हे! ये आप क्या कह रही हैं? ०० 8.० For Private Personal Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलयासुन्दरी राजा दौड़कर आया और आकर दरवाजा पीटने लगाराजकुमारी दरवाजा हे भगवान! डरो मत, खोलो ! कमरे में महाराज की सब ठीक कौन है। आवाजा अब क्या होगा। होगा? महाबलने देव द्वारा दी विद्यासेरानी चम्पकमाला कारूपधारण कर लिया। SION THAN அவன் मलया ने दरवाजा खोला। महाराज कनकमाला के साथ भीतर घुसेरानी चम्पकमालारूपी महाबल ने उठकर स्वागत कियामहाराज! आधी महारानी! यही रात में आप यहाँ? प्रश्न हम आपसे क्या बात है? पूछना चाहते हैं? महाराज! मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं मलया से बातें करने यहाँ आ गई। ००० S00004 oyoxOC हे....? अन्द र यह कैसे? मैंने तो पृरुषकी आवाज सुनी थी। ठीक है महारानी, आप बातें करें हम जारहे हैं। Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलया सुन्दरी राजा बाहर आकर कनकमाला पर बरस पड़ा- प्रातः उसने सैनिकों को बुलाकर रानी को देश से निकालने तू अपनी नीचता का आदेश दे दिया। सैनिकों ने रानी का मुँह काला करके सीमा से बाज नहीं आती। से बाहर छोड़ दिया। अब तुझे किये का यह सब मलया के फल मिलेगा। कारण हुआ है। मैं OO उसे छोडूंगी नहीं। bom AARADAREE 04/ और क्रोध में तमतमाया राजा महल में चला गया। कुछ दिनों बाद मंत्री और महाबल अपनी राजधानी लौट आये। एक रात्रि महाबल के कमरे से अचानक लक्ष्मीपुंज हारगायब हो गया। अरे! अभी तो इधर रखा था, किसने स्टा लिया। जरूर कोई चोर घुसा है। महाबल महल से बाहर आया तो उसे हार लेकर चोर भागता हुआ दीखा। राजकुमार उसका पीछा करता हुआघने जंगल में पहुँचगया। रुक जा दुष्ट! अरे! राजकुमार मेरे पीछे। हार फेंक दूं तो जान बच जाये। चोर ने हारफैंक दिया और जंगल में भाग गया। महाबल हार लेकर वृक्ष पर बैठकर रात गुजारने लगा। 12 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इधर रानी कनकमाला जंगल में भटकती हुई चोरों के सरदार के हाथ लग गई और उसके साथ रहने लगी। एक दिन उसके मन में मलया से बदला लेने का विचार | आया। उसने चोरों के सरदार को उकसाया चन्द्रावती नगरी के राजा की पुत्री मलया अपूर्व सुन्दरी है। वह प्रत्येक पूर्णिमा को पहाड़ी पर स्थित कामदेव मन्दिर में पूजा करने जाती है। "अच्छा! इतनी सुन्दर है, तो उसे मैं अपनी रानी बनाऊँगा। | एक रात मौका देखकर मलया अकेली जंगल में भाग निकली। दस्युराज के साथी चोर भी उसका पीछा करते | हुए आ पहुँचे। वे मलया को पकड़कर ले जाने लगे। मलया | चिल्लाई Vo Malw महाबल मलया सुन्दरी मलया मैं आ गया। Sg मेरी रक्षा करो ! मुझे बचाओ ! महाबल कुमार तुम कहाँ हो ? By यह दुष्ट कौन है ? मारो इसे । महाबल पेड़ से नीचे कूदकर चोरों का मुकाबला करने लगा। For Priv 13 मौका देखकर दस्यु राजा ने मलया का अपहरण कर लिया। बोला चल ! मैं तुझे अपनी पटरानी बनाऊँगा। जो माँगेगी वही दूँग दस्युराज ! एक सप्ताह का मेरा व्रत है। तब तक मुझे स्पर्श मत करना। फिर तुम जैसा कहोगे, वैसा करूँगी। सरदार ने मलया की बात मान ली। कुछ ही देर में महाबल ने युद्ध करके चोरों को भगा दिया। राजकुमार ! आप अचानक यहाँ कैसे ? मलया! मैं एक चोर का पीछा करता हुआ जंगल में आया था। रात गुजारने के लिए पेड़ पर बैठा था। फिर महाबल ने हार चोरी की पूरी घटना सुनाई। मलया को लेकर नगर की तरफ चल पड़ा। Personal Use Only jainelibrary.org Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलयासुन्दरी महाबल-मलया जगलों में भटकते हुए चन्द्रावती नगरी के | दोनों ने यह बात सुनी तो चिंतित हो उठे।। समीपकेएकगाँव में आया वहाँ लोग बातें कर रहे थे स्वामी! अब सुना है कि राजा ने अपनी पुत्री मलया | क्या होगा? कुछ चिंता मत करो। सुन्दरी का स्वयंवर निश्चित कर दिया समस्या खड़ी होती है सोचिए। था। इसी बीच उसका अपहरण हो गया। तोसमाधान भी मिलता कहीं पता नहीं चला। इसलिए राजा-रानी ही है। धीरज रखो। दुखी होकर चितारोहण कर कल अपनी जान देने जा रहे हैं। महाबल एक ज्योतिषी कारूपधारण कर राजसभा में आया। राजा को चिंतित देखकरपूछा @OS गाँव के बाहर एक पुराना जीर्णदेव मन्दिर था। महाबल ने मलयाको उसमन्दिरकेएक कमरे में छिपा दिया। मलया! तुम यहीं पररुको। मैं नगर में जाकर पता स्वामी! मैं करता हूँ। आपका इन्तजार करूंगी। शीघ्र ही वापस आना। राजन् ! आप इतने चिंतित क्यों हैं? या LOOOC ज्योतिष्यवर ! मेरी पुत्री का किसी ने अपहरण कर लिया है। कल उसका स्वयंवर है। अब मैं क्या करूं? महाबल नगर की तरफ चल पड़ा। Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्योतिषी बने महाबल ने पतरा निकाला और देखकर कहा erst YoTo 'ठीक है कुमार ! मैं तुम्हारी आवाज पहचानकर ही पेटी खोलूँगी। अरे ! वह देखो पेटी। ज्योतिषी ने जैसा बताया था वही हुआ। अवश्य ही इसमें राजकुमारी होंगी। महाबल मलया सुन्दरी DOC फिर महाबल कुमार एक पेटी का बन्दोबस्त कर मन्दिर में आ पहुँचा और मलया को पेटी में समझाई NOOG मलया ! तुम इस पेटी में लेट जाओ। जब मैं तीन बार पेटी खटखटाऊँ तब ही अन्दर से कुण्डी खोलकर बाहर आ जाना। महाराज ! चिंता न करें। राजकुमारी जीवित है और तीसरे दिन ही नगरद्वार के बाहर एक पेटी में सोती हुई मिलेगी। आप तैयारी कीजिए। चलो पेटी उठाकर स्वयंवर मण्डप में ले चलें। परन्तु ध्यान रखें कि पेंटी को आप नहीं खोलेगें। जो राजकुमार पेटी खोल 5 लेगा। वही राजकुमारी को वरण करेगा। 15 सुलाकर रात्रि में महाबल ने चुपचाप पेटी नगर के द्वार पर रख दी। प्रातः राजा ने सिपाहियों को भेजा तो उन्हें पेटी दिखाई दी। ollo ONE CASE योजना Sr. 40000 +4 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ •महाबल मलया सुन्दरी स्वयंवर मण्डप के बीच में राजा वीरधवल ने राजकुमारों से निवेदन किया इस पेटी में कन्या वरमाला लिये स्थित है। जो इस पेटी को खोल लेगा। राजकुमारी उसी का वरण कर लेगी। अरे पेटी खुलक्यों नहीं रही। | एक-एक कर सभी राजकुमारों ने पेटी खोलने का प्रयास किया, परन्तु पेटी नहीं खुली। सब निराश होकर कहने लगे Jurr तभी एक जोगी के वेष में महाबल ने प्रवेश किया। इतने वीर क्षत्रिय भी नहीं खोल सके तो महाराज ! आज्ञा हो तो मैं भी प्रयत्न करूँ। साधु बाबा तुम कैसे पेटी खोल लोगे 2 QUEEN वाह ! यह तो विचित्र स्वयंवर है। 16 जोगी पेटी के पास आया और विशेष तरीके से पेटी खटखटाई ऐ पेटी खुल जा ! खुल जा ! सबसे पहले मैं प्रयास करता हूँ। महाराज ने कैसी अजब शर्त रखी है... ? पेटी तो किसी से भी नहीं खुली। अरे, यह तो महाबली आवाज है। o Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजकुमारी भीतर से कुंडी खोलकर बाहर निकल आई। उसके हाथ में लक्ष्मीपुंज हार था। वह उसने राजकुमार के जले में डाल दिया। अरे ! हम क्षत्रियों के होते एक जोगी के गले में वरमाला डाल दी। यह तो हमारा अपमान है। 1000 नागार Joo 456 •महाबल मलया सुन्दरी धूमधाम से राजकुमारी मलया का पाणिग्रहण महाबल के साथ हो गया। सभी राजकुमारों ने तलवार खींच ली। तभी महाबल ने | जोगी वेष हटाकर अपना चेहरा दिखाया। अरे ! यह तो राजकुमार महाबल है। 100 17 00 सबको मार डालो। राजकुमार महाबल की जय ! | महाबल को देखकर राजकुमारों का क्रोध शांत हो गया। महाबल मलया के साथ विवाह कर अपने नगर को आ रहा था। तभी लोहखुर नाम के उसी दस्यु ने आक्रमण कर दिया, जिसने मलया का अपहरण किया था। आज किसी को मत छोड़ना ! पूरी खारात लूट लो... Cooper Sello m वाह ! राजकुमारी को तो मैं ले जाऊँगा। Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भयंकर युद्ध हुआ। राजकुमार महाबल ने अपनी तलवार से एक-एक कर दस्यु दल को मौत के घाट उतार दिया। लोहखुर भी ढेर हो गया। Su सब मारे गये। राजकुमारी बाहर आ जाओ। कोई खतरा नहीं है। Vibr Cour पिताश्री लोहखुर चोर का आतंक मैंने समाप्त कर दिया। उसका चुराया यह धन भी आपके सामने है। 23465 201 ताड़ा Lelent •महाबल मलया सुन्दरी AbTORY प्रतिष्ठानपुर पहुँचकर कुमार ने लोहखुर चोर का अपार धन पिता के सामने रखा 22 रानी कनकमाला भी उन वस्तुओं के साथ थी। उसने जब देखा कि महाबल विजयी हो गया है तो दौड़कर मलया सुन्दरी के पैरों में पड़ गई और नाटक करने लगी वाह बेटा तुमने अपनी शूरवीरता का परिचय दे ही दिया। 18 राजकुमार दस्युओं द्वारा चुराया अपार धन और कनकमाला को अपने साथ लेकर नगर की ओर चल पड़ा। | फिर राजा वीरधवल ने प्रजाजन को बुलाकर जिसका जो धन चोरी गया था, वापस कर दिया। Aook बेटी ! तुमने मुझे बचा लिया। इस दस्युराज़ ने मुझे अपने चंबुल में फंसा रखा था। अब मुझे अपने साथ ले चलो। उठिये ! आप तो मेरी माँ जैसी हैं। हमारे साथ प्रतिष्ठानपुर चलिये। कनकमाला मलया सुन्दरी के साथ ही महलों में रहने लगी। वह हर पल मलया से बदला लेने के बारे में सोचती रहती। मैं मलया से अपनी बेइज्जती का बदला लेकर रहूँगी। इसी के कारण राजा वीरधवल ने मुझे देश निकाला दिया था। 10000 Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलया सुन्दरी | एक दिन राजा के पास सीमा प्रदेश से गुप्तचर आये- महाबल युद्ध के लिए चला गया। एक दिन मलया सुन्दरी ने कनकमाला से कहामहाराज ! पड़ोसी स्वामी युद्ध परगये हैं। मैं ठीक है बेटी! शत्रुओं ने आक्रमण अकेली महलों में रहती हूँ। ) जैसी तुम्हारी कर दिया है। प्रजा मुझे बड़ा भय लगता है। आप आज्ञा। को लूट रहे हैं। मेरे पास ही सोया करें। पिताश्री! मुझे आज्ञा दीजिये। INअब राजकुमारी से मैं शत्रु का मान (बदला लेने का मौका मर्दन करूगा। आरहा है। पिता को पुत्र की बहादुरी पर भरोसा था। उन्होंने स्वीकृति दे| | षड़यंत्र रचती कनकमाला राजकुमारी केपासहीरहने लगी। एलठटा दी। | धीरे-धीरेकनकमालाने मलया सुन्दरी का पूरा विश्वास जीत | लिया। एकदिन उसने कहा बेटी ! रात को एक राक्षसी आई थी। उसके एक हाथ में खप्पर और दूसरे हाथ में चमचमाती तलवार थी। उसका शरीर कोयले जैसा काला, बाल बिखरे हुए थे। रात भर मैं उससे जूझती रही। बड़ी मुश्किल से उसे भगा पाई। नहीं तो वह दोनों को मार देती। बेटी ! तू डर मत ! मैं उससे उसी का रूप बनाकर लडूंगी। बस तू मुझे कुछ चिड़िया के पंख, तलवार, काला रंग और काले कपड़े मँगवा दे। पर यह ध्यान रखना यह बात किसी को पता न चले। ठीक है, मैं चुपचाप यह वस्तुएँ ला दूंगी। COM अब क्या होगा माता जी! और मलया भय से कॉपने लगी। मलया ने सब चीजें मँगवा दी। 19 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलया सुन्दरी कुछ दिन बाद प्रतिष्ठानपुर में अचानक महामारी फैल गई। राजा ने वैद्यों को बुलाया। तांत्रिकों से अनुष्ठान करवाया। परन्तु महामारीपर काबू नहीं हो सका। सबने अपने-अपने विचाररखे। ( महाराज ! लगता है कोई दुष्ट आत्मा ) आप सब कोई दैवीय प्रकोप है। का प्रभाव है। मिलकर कोई उपाय कीजिए। MDE oooooooo 90. संध्या केसमय राजा महलें वापस आ गया। राजा को अकेले विचार करते देख कनकमाला आई और बोली महाराज ! मुझे बताते हुए शर्म आ रही है, आपकी " पुत्रवधू मलया मानवी नहीं राक्षसी है, जादूगरनी है। रात को राक्षसी का रूप लेकर निर्दोष नागरिकों का खून पीती है। यही महामारी है। नहीं! नहीं! मेरी बहू ऐसी नहीं हो सकती। तुम्हें इसका प्रमाण देना पड़ेगा। मावा महाराज ! रात के दूसरे प्रहर में आप स्वयं अपनी आँखों से देख लीजिए। रात को कनकमाला ने राक्षसी कारूप बनाया। वह महल के आँगन में एक हाथ में खप्पर, एक हाथ में तलवार लिये उछल-कूद करने लगी। राजा ने देखा तो सैनिकों को आदेश दियाNDA जाओ! इस दुष्ट राक्षसीको पकड़ लो। Jopod Tay 20 For Private Personal Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -बिल मलयासुन्दरी बोले सिपाही दौड़े। कनकमाला ने मलया के कक्ष में आकर भीतर से दरवाजा बन्द कर लिया और मलया से बोली बेटी! मुझे बचा। राजा के सिपाही मुझे पकड़ने आ रहे हैं। हड़बड़ी में मलया ने एक पेटी में उसे छुपा दिया। सिपाहियों ने दरवाजा खटखटाया। मलया ने द्वार खोला। सिपाही यहाँ तो मैं अकेली वह राक्षसी हूँ। कोईराक्षसी कहाँ है? DO dol नहीं है। ARTHA वक७ि अब राजा को पूरा विश्वास हो गया कि मलया ही राक्षसी है। सुबह राजा ने कोतवाल को बुलाकर आदेश दिया कोतवाल अच्छा आदमीथा। परन्तु राजाज्ञा स्वीकारते हुएवह मलया को दूर जगल में ले गया और बोला देवी! मैं जानता हूँ कि तुम निर्दोष हो, परन्तु क्या करू मजबूर हूँ। मेरी तलवार तुम्हारे पर नहीं चल सकती। तुम जंगल में चली जाओ। मलया सुन्दरी को रथ में बिठाकर दूर जंगल में ले जाकर वध कर डालो। ram और मलया को जंगल में छोड़कर वह वापस आ गया। 21 Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुनसान बीहड़ जंगल में मलया अकेली चल | रही थी। अचानक सिंह की दहाड़ सुनकर वह कॉपगयी। फिर सोचने लगी मुझे शरीर से भी ज्यादा अपना धर्म प्यारा है। धर्म मेरी रक्षा करेगा। धर्म का पालन करते हुए प्राण भी त्याग दूंगी तो सद्गति प्राप्त होगी। फिर डर किस बात का? महाबल मलया सुन्दरी तभी सामने ही सिंह दहाड़ते हुए आगया। मलया हाथ जोड़कर सिंह के सामने खड़ी हो गई और बोली हे वनराज ! तुम इस जंगल के राजा हो। मैं प्रजा हूँ। अपनी प्रजा की रक्षा करना तुम्हारा धर्म है। क्या तुम अपनी प्रजा की रक्षा नहीं करोगे? CMORE ००० 57 मलया के भावों का प्रभाव सिंह पर पड़ा। वह मुड मलया ने रातभर गुफा में विश्राम किया। सुबह पास के गया। मलया के आगे-आगे चलने लगा। जैसे कहा सरोवर में स्नानादि कर पेड़ों के फल खाये। अब वह रहा हो निश्चत होकर वहीं रहने लगी। कुछ समय बाद मलया मैं तुम्हारी रक्षा 4M सुन्दरीने एकसुन्दर पुत्र को जन्म दिया। करूंगा। चलो! मेरे पीछे-पीछे आ जाओ। मेरेलाल तू चन्द्रमा से भी सुन्दर है। XJOSL सिंह मलया को एक गुफा के द्वार पर छोडकरचला गया। 22 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलया सुन्दरी एक दिन मलया सरोवर के पास खड़ी थी। तभी शिकार परन्तु राजा परकाम का भूत सवारथा। वह मलया के करने आये पड़ोसी देश के राजा की नजर उस पर पड़ी। पास आकर उसे पकड़ने की चेष्टा करने लगा। मलया वह उसपरआसक्त हो गया। दूर हटगई। दूररहो मुझसे। सुन्दरी ! इस घने बीहड मैं तुम्हारे साथ मैं नारी अबला हूँ तो जंगल में अकेली क्या कर रही| जबर्दस्ती नहीं करना चाहता। काली भी हूँ। मुझे स्पर्श | हो? मेरे साथ चलो। मैं तुम्हें । | इसलिए कहता हूँ तुम चुपचाप भी किया तो तुम भस्म अपनी महारानी बनाऊँगा। त मेरे साथ चलो, मैं तुम्हें हो जाओगे। सब सुख दूंगा। oor oll. olol NANN 07GICI WW12 नहीं, नहीं राजन् ! यह सम्भव नहीं है। मैं किसी की ब्याहता स्त्री हूँ। मलया कुछ सोचने लगी। तभी राजा ने || उसने शिशु को उठा लियाझोली में सोये शिशुकारुदन सुना। मैं इसे ले जा रहा हूँ। ओह! यह बच्चा भी इसी का अब तेरी इच्छा हो तो मेरे लगता है। मैं कितना भाग्यशाली साथ आजा......... हूँ। निःसंतान को संतान भी मिली और यह सुन्दरी भी। आ.. अ... बछड़े के पीछे जैसे गाय चल पड़ती है, मलया भी पुत्र मोह से विवश होकरराजा केपीछे-पीछे चलने लगी। 23 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ •महाबल मलया सुन्दरी राजा रथ में बैठाकर मलया को नगर के बाहर उद्यान में स्थित महल में ले आया और बोला तुम यहाँ पर रहोगी। मैं तीन दिन का समय देता हूँ। मेरी बात मान लो, वर्ना फिर जबर्दस्ती करूँगा। YCC ww पुत्र वह मायावी राक्षसी थी। नरक्षिणी है। रानी कनकमाला के कहने पर सैनिकों ने उसे देखा है। मलया को वहीं नजरबंद करवाकर राजा चला गया। इधर युद्ध जीतकर महाबल जब नगर में वापस आया तो पता चला कि मलया सुन्दरी को गर्भवती हालत में मरवा दिया गया है। उसने राजा सूरपाल से पूछापिताश्री ! आपने मलया को किस अपराध की सजा दी है ? 20 Taar तीन दिन बाद राजा आया। मलया विवश थी। उसने चतुराई से जवाब दिया 24 राजन् ! मैं छह मास की आराधना कर रही हूँ। अतः मुझे इतना समय दीजिए। फिर तो आप ही मेरे आधार हैं। यह सुनते ही महाबल ने चीखकर कहामायाविनी मलया नहीं, यह कनकमाला ही है। आपने इतना नहीं सोचा जिस मलया जे चींटी की हिंसा को भी पाप समझा, क्या वह नरभक्षिणी हो सकती है ? a ठीक है ! छह मास तक तुम्हारा इंतजार करूँगा। इससे आगे एक दिन भी नहीं। Jalo Joi 0 쉐 Tari ०००००००० 0000 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल की आँखों से आँसू बहने लगे 101 O पिताश्री ! आपने एक निर्दोष सती साध्वी को इतना कठोर aण्ड दे दिया। अब मुझे भी मार दीजिए। उसके बिना मेरा जीना व्यर्थ है। रुक जा दुष्टा ! कहाँ भागती है। DDDDD ● Tod महाबल तलवार हाथ में लिये महलों में आया। कनकमाला ने ऊपर से ही उसे आते देख लिया। वह महलों के पिछवाड़े से जंगल की ओर भाग निकली। शल महाबल ने आकर कहा ० महाबल मलया सुन्दरी फिर क्रोध में तमतमाकर बोला 440 ਹਰ ਹਰ GL 'पुत्र ! मेरी बहुत बड़ी भूल हो गयी। क्षमा कर दो। अब तुम मुझे छोड़कर जाओगे तो मैं भी नहीं जी पाऊँगा। पश्चात्ताप की आज में तिल-तिल जलता रहूँगा। पिताश्री ! अब मेरे लिए | यह घर शमशान तुल्य हो गया है। मैं भी जा रहा हूँ। मलया के बिना मेरे लिए यह संसार असार है। 25 BEGG वह दुष्ट कनकमाला कहाँ है ? 10/ क beege लगता है मेरा भांडा फूट अया। भागने में ही भलाई है। Owood Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलयासुन्दरी उसी समय एक ज्योतिषी राजसभा में आया। राजा ने उसे | फिर राजा ने कोतवाल को बुलाकर पूछासारी घटना बताई और उपाय पूछा। ज्योतिषी ने जन्त्री देखकर बताया सच-सच बताओ, NOVAT राजन् ! मलया अभी तुमने मलया का वध (O) संकट में है, परन्तु जीवित किया या नहीं? है। वह एक वर्ष बाद आपको मिल जायेगी। KONCINIG महाबल भी मलया की खोज में जोगी वेष बनाकर चन्द्रावती से निकलकर जंगलों की खाक छानता हुआ एक दिन तिलकपुर पहुंच गया। नगर में उद्योषणा होतीसुनी कोतवाल ने काँपते हुए कहा महाराज ! अपराध क्षमा हो। मुझे पक्का विश्वास था कि युवरानी निर्दोष हैं। माता सीता की तरह निष्कलंक और गंगा की तरह पवित्र हैं। मैंने उन्हें जंगल में जीवित ही छोड़ दिया था। ( Oe RATO राजा की रानी को जहरीले साँप ने काट लिया है। कोई यंत्र, मत्र, तंत्र का जानकार यदि उसे जीवित कर दे तो राजा उसे मुँह ॐ माँगी वस्तु देगा। मेरे पास अवसर्पिणी विद्या | है। रानी का विष उतारकर एक सदकार्य ही कर देता हूँ। एक अबला की सहायता ही कर देता हूँ। राजा सूरपाल ने तुरन्त सैनिकों को मलया सुन्दरी कीखोज में जंगल में भेज दिया। 26 ( Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 111 all of महाबल मलया सुन्दरी वह राजसभा में राजा के पास आया और राजा उसे | महाबल्ल मलया को देखकर चौंक गयालेकर उद्यान में स्थित महल में आया और एक मूर्छित स्त्री अरे! यह तो मेरी की तरफ इशाराकरके बोला पत्नी मलया सुन्दरी योगीराज ! यह है मेरी रानी। है। यह राजा की रानी आप चमत्कारी दीखते हैं। मेरा कैसे हो सकती है? कार्य सिद्ध कर दीजिये। इसे ठीक कर दीजिये। मैं आपको मालामाल कर दूंगा। nyolo lo to वाद 6 6/ 008 मिलान महाबल ने मलया की नाड़ी देखी। बोला इसे बहुत ही जहरीले साँप ने | काटा है। समूचा शरीर नीला पड़ चुका है। फिर भी प्रयत्न करता हूँ। मुझे यहाँ अकेला छोड़ दीजिए। मंत्र साधना कर जल छिड़कँगा। एकान्त पाकर महाबल ने अरिहंत भगवान का स्मरण किया। फिर झोली से नागमणि निकाली। मंत्रित जल मलया पर छिडका।। ओम नमो अरिहंताणं... 222 DSSSOOZ जालनक DOUठटाहाटी COUठहट PUVUUD COOR टालाICE Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलयासुन्दरी कुछ देर बाद मलया ने आँखें खोली। महाबल को | बाहर खड़े राजा को आवाजें सुनाई दी तो वह भीतर आगया। देखकरचकितस्वरमें बोली मलया को बैठा देख प्रसन्नता से बोलास्वामी! योगीराज! आपने मेरी राजन् ! सच कहो, क्या आप.....यहाँ! प्रिय रानी को बचाकर बहुत | यह तुम्हारी विवाहित पत्नी उपकार किया है। बोलिए है? झूठ बोले तो देवी माता आपकी क्या सेवा करूIतुम्हें अभी भस्म कर देगी। धीरे बोलो! UODU कुछ देर दोनों ने आपबीती सुनाई। यह सुनकर राजा डरता हुआ बोला योगीराज ! मुझे यह अकेली जंगल में मिली। मैंने इसे आश्रय दिया। अब इसका जीवन सुखी करना चाहता हूँ। फिर महाबल ने मलया पर झूठा आरोप लगाकर नगर से निकालने की पूरी घटना राजा को बताई। सुनकर राजा ने कहा मुझे विश्वास नहीं होता। फिर भी आप कह रहे हैं तो मैं मान लेता हूँ। परन्तु आप पहले मेरे कुछ कार्य कर दीजिये, तब मैं आपकी बात पर विश्वास कर लूँगा। Oololo 1w.d राजन् ! यह मेरी पत्नी है। मैंने आपका काम कर दिया। आप मुझे मेरी पत्नी और बच्चा लौटा दीजिए। 28 Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ •महाबल मलया सुन्दरी | महाबल ने विद्याबल से राजा द्वारा कहे सभी कार्य पूरे कर दिये, परन्तु राजा उसे नये-नये कार्य बताता गया। अन्त में महाबल ने कहा राजन् ! बहुत हो गया। अब हमें जाने दीजिये। • हम वापस अपने नगर जाना चाहते हैं। मेरी जान बचाओ, मुझे माफ कर दो। ROTOCOON CO रुको राजकुमार ! बस अब एक काम और बाकी है, वह भी कर दो। मुझे अपनी पीठ • आँखों से दिखा दो । राजा अपनी बात पर अड़ा रहा। तब महाबल ने विद्या बल से राजा की गर्दन घुमा दी। अब तो राजा दर्द से चीख पड़ा 800 मुझे लगता है इनके अपराध की इतनी सजा काफी है। इन्हें अब क्षमा कर दीजिए। महाबल ने दो बड़े शीशे मँगाये और पीठ की तरफ लगाकर कहा Se देखो, अपनी पीठ देख लो। नहीं मैं अपनी आँखों से ही अपनी पीठ देखना चाहता हूँ। महाबल बोला राजन् ! नगर के बाहर उद्यान में चक्रेश्वरी माता का मन्दिर है । नंगे पाँवों वहाँ जाकर अपने अपराधों की क्षमा माँगो, तभी तुम्हें इस दर्द से मुक्ति मिलेगी। 29 Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलयासुन्दरी राजा राजपरिवार के साथ नंगे पाँव हाट-बाजार से सबके सामने उसने महाबल मलया से क्षमा मांगी। तभी होकर देवी मन्दिर में पहुँचा। माता की पूजा-अर्चा की। सैनिक ने आकर समाचार दियाघुटने टेककर क्षमा माँगी और प्रार्थना की महाराज! माँ! मेरा अपराध उद्यान में ज्ञानी क्षमा करो। मुनि पधारे हैं। AGO CROQ0OOOOOOO कितना शुभ (समाचार है। चलो मुनि महाराज के दर्शन करने चलें। चक्रेश्वरी माता के प्रभाव से राजा पूर्व स्थिति में आ गया। महाबल काराज्याभिषेक किया गया। मलयासुन्दरी पटरानी बनी। सबने उनका प्रवचन सुना। राजा को आत्मबोध हो गया। महल में वापस आकर उसने महाबल से कहा राजकुमार महाबल! अब 90संसार त्याग कर दीक्षा लेना | चाहता हूँ। मेरे कोई संतान नहीं है। इस राज्य को आपसम्भालिए। FoloCAN फिर राजा ने अपनी रानियों के साथ मुनि । महाराज के पास जाकर दीक्षालेली। 30 www ainelibrar Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाबल मलया सुन्दरी पड़ोसी राजा वीरधवल और सूरपाल ने सुना कि || दोनों ने मिलकर तिलकपुर को घेर लिया। महाबल ने युद्ध में तिलकपुर के राजा एक जोगी को राज्य सौंपकर जौहर दिखाया। आक्रमणकारी सेनाएँ भागने लगीं। मौका दीक्षित होगये हैं, तो दोनों ने मंत्रणा की देखकर महाबल ने एक पत्र लिखकर बाण पर लगाकर चलो ! यह मौका है, छोड़ा। बाणराजासूरपाल के पाँवों केसामने जाकर गिरा। हम पड़ोसी राज्य को जीतकर अपनी सीमा बढ़ा लेवें। MEN MEER Lira राजा ने बाण से निकालकर पत्र पढ़ा राजा सूरपाल तो हर्ष से उछल पड़ा। उसने वीरधवल को खुश खबरी दी। दोनों राजा दौडे-दौड़े महाबल के पास आये। पूज्य पिताश्री, प्रणाम! मैं और आपकी पुत्रवधु मलया यहाँ धर्म के प्रभाव से कुशल मंगल हैं। बाकी बातें मिलने परा न -आपका पुत्र महाबल HOVO HIND DIGO युद्ध का माहौल खुशियों में बदल गया। 31 Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पिता और श्वसुर को लेकर महाबल अपनी राजधानी आया। एक सप्ताह का आनन्द उत्सव मनाया जाने लगा। 136 महाबल मलया सुन्दरी O VUTU TVUPL קשקט! DOUG | आचार्य के उद्बोधक प्रवचन सुनकर राजा सूरपाल और वीरधवल को वैराग्य हो गया। दोनों राजाओं ने अपने राज्य का भार महाबल को सौंपा और संयम स्वीकार कर तपाराधना करने चल पड़े। तीनों राज्यों को सम्भालते हुए महाबल ने भी न्याय-नीतिपूर्वक प्रजा पालन किया। 200 mmm तभी उद्यानपाल ने आकर सूचना दी महाराज ! उद्यान में भगवान पार्श्वनाथ के शिष्य आचार्य चन्द्रसेन सूरि पधारे हैं। चलो, सभी धर्म देशना सुनने चलें। अन्त में अपने पुत्र का राजतिलक कर मलया सुन्दरी के साथ दीक्षा ग्रहण कर आत्मा का कल्याण किया। -महाबल मलया सुन्दरी रास के आधार पर संक्षिप्त 32 समाप्त Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मधु बिन्दु के समान है काम-भोग काम-भोग (इन्द्रिय सम्बन्धी विषय-सुख) भोगने के समय तो सुखकारी लगते हैं, परन्तु उनके अनुराग (मोह) में आसक्त होने वाला जीव अन्त में दुःख, क्लेश और पीड़ा को प्राप्त करता है। काम-भोगों की असारता तथा क्षणभर के सुख के बदले दीर्घकालीन दुःखों की परम्परा बताने के लिए आचार्यों ने मधु बिन्दु का दृष्टान्त दिया है। एक युवक बहुत वर्षों तक परदेश में रहकर व्यापार करता रहा। बहुत-सा धन कमाकर वह अपने नगर को जा रहा था। लम्बा रास्ता पैदल पार करता हुआ युवक एक घने लम्बे जंगल में फंस गया। छोटे संकरे रास्ते में सामने एक भयानक काला जंगली हाथी मिल गया। युवक हाथी से डरकर वापस जंगल की ओर भागने लगा। हाथी भी उसके पीछे-पीछे दौड़ने लगा। अपनी जान बचाने के लिए वह एक घने पेड़ के ऊपर चढ़ गया। पीछा करता हुआ हाथी आ पहुँचा। युवक ऊँची टहनी पर बैठा था। क्रोध में आकर हाथी उस वृक्ष के तने को सूंड़ से हिला-हिलाकर गिराने की चेष्टा करने लगा। वृक्ष जोर से हिला तो युवक के हाथों की पकड़ ढीली पड़ गई। डाली से हाथ छूटा, वह नीचे गिरने लगा। भाग्य से उसके हाथ में वृक्ष की नीचे लम्बी लटकती दो टहनियाँ (शाखाएँ) आ गई। जहाँ वह लटका, उसके ठीक ऊपर मधुमक्खियों का छत्ता था। उससे बूंद-बूंद शहद (मधु) टपक रहा था। शहद की बूंद उसके मुँह में गिरी, उसे बड़ा सकून मिला। वृक्ष पर सफेद और काला दो चूहे भी बैठे थे। एक तरफ एक काला तथा दूसरी तरफ सफेद चूहा उन्हीं दोनों टहनियों को कुतर-कुतर काटने लग गये। युवक जहाँ लटका था उसके ठीक नीचे एक पुराना सूखा कुआँ था। उसके भीतर जहरीले सांप छुपे थे। ऊपर लटके युवक को देखकर वे भी उसके नीचे गिरने का इंतजार करते फुफकार रहे थे। उसी समय एक विद्याधर उधर से निकला। युवक को मौत के बीच फंसा देखकर उसे दया आ गई। उसने | विमान रोका और युवक को पुकारा-"वत्स ! देख तेरे चारों तरफ मौत मुँह बाँए खड़ी है। ले, मैं विमान तेरे पास ला रहा हूँ। तू इसमें बैठ जा । मैं तुझे सुरक्षित अपने स्थान पर पहुँचा दूंगा।" मा-"हे दयालु पुरुष ! एक मिनट रुक जाओ। शहद की एक बूंद और चाट लूँ। बहुत मीठा है यह मधु !" विद्याधर ने उसे समझाया-"मधु का लोभ छोड़, अपने चारों तरफ खड़ी मौत को देख और आ जा इस विमान __"एक मिनट ! एक बूंद और ।" इस तरह करते हुए युवक मधु बिन्दु का लोभ नहीं छोड़ सका । थक-हार कर | विद्याधर आगे अपने रास्ते चला गया। उपनय : यह संसार ही वृक्षरूप मानव जीवन है। इनमें काल (मौत) रूपी हाथी है। काला चूहा रात, सफेद चूहा दिन का प्रतीक है। जो जीवन की डाली को हर क्षण काटे जा रहे हैं। कूएँ नरक आदि दुर्गति हैं और मधु बिन्दु के समान संसार के क्षणिक विषय-सुख हैं। विद्याधर के समान सद्गुरु हैं, जो उसे दुःखों से बचाने के लिए धर्म रूपी विमान लेकर खड़े हैं। परन्तु मोह-मूढ़ जीव (युवक) संसार के सुखों का स्वाद नहीं छोड़ रहा है। सद्गुरु की चेतावनी भी उसे बचा नहीं सकती। साभार : सुशील सद्बोध शतक Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साधना काल में भगवान पशु-पक्षियों द्वारा चोंच मारने, काटने से लहुलुहान हो जाते, चोर व व्यभिचारी पुरूषों द्वारा | फिर भी वह शान्त भाव से ध्यान में लीन रहते थे।1 ध्यानस्थ भगवान पर लाठीयों से प्रहार।। लाद प्रदेश में STARSHMA एकान्त में ध्यानलीन भगवान को व्यभिचारी कामाकुल स्त्रियाँ सताती फिर पुरूष कष्ट देते। लाढ प्रदेश में विहार करते समय जगली कुत्ते आदि उन पर झपट पड़ते परन्तु भगवान शान्त रहते। भगवान महावीर की साधना काल में होने वाले अनेक उपसर्गों का वर्णन आचारागं सूत्र के नौंवें अध्ययन में किया गया है। उसी आधार पर यह चित्र बनाया गया है। आभार-यह चित्र प्रवर्तक श्री अमरमुनि जी द्वारा सम्पादित सचित्र आचारांग-सूत्र पुस्तक से लिया गया है। For Privale & Personal use by