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________________ महाबल मलया सुन्दरी | एक दिन राजा के पास सीमा प्रदेश से गुप्तचर आये- महाबल युद्ध के लिए चला गया। एक दिन मलया सुन्दरी ने कनकमाला से कहामहाराज ! पड़ोसी स्वामी युद्ध परगये हैं। मैं ठीक है बेटी! शत्रुओं ने आक्रमण अकेली महलों में रहती हूँ। ) जैसी तुम्हारी कर दिया है। प्रजा मुझे बड़ा भय लगता है। आप आज्ञा। को लूट रहे हैं। मेरे पास ही सोया करें। पिताश्री! मुझे आज्ञा दीजिये। INअब राजकुमारी से मैं शत्रु का मान (बदला लेने का मौका मर्दन करूगा। आरहा है। पिता को पुत्र की बहादुरी पर भरोसा था। उन्होंने स्वीकृति दे| | षड़यंत्र रचती कनकमाला राजकुमारी केपासहीरहने लगी। एलठटा दी। | धीरे-धीरेकनकमालाने मलया सुन्दरी का पूरा विश्वास जीत | लिया। एकदिन उसने कहा बेटी ! रात को एक राक्षसी आई थी। उसके एक हाथ में खप्पर और दूसरे हाथ में चमचमाती तलवार थी। उसका शरीर कोयले जैसा काला, बाल बिखरे हुए थे। रात भर मैं उससे जूझती रही। बड़ी मुश्किल से उसे भगा पाई। नहीं तो वह दोनों को मार देती। बेटी ! तू डर मत ! मैं उससे उसी का रूप बनाकर लडूंगी। बस तू मुझे कुछ चिड़िया के पंख, तलवार, काला रंग और काले कपड़े मँगवा दे। पर यह ध्यान रखना यह बात किसी को पता न चले। ठीक है, मैं चुपचाप यह वस्तुएँ ला दूंगी। COM अब क्या होगा माता जी! और मलया भय से कॉपने लगी। मलया ने सब चीजें मँगवा दी। 19 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002857
Book TitleMahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanmatimuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size21 MB
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