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•महाबल मलया सुन्दरी | महाबल ने विद्याबल से राजा द्वारा कहे सभी कार्य पूरे कर दिये, परन्तु राजा उसे नये-नये कार्य बताता गया। अन्त में महाबल ने
कहा
राजन् ! बहुत हो गया। अब हमें जाने दीजिये। • हम वापस अपने नगर जाना चाहते हैं।
मेरी जान बचाओ, मुझे माफ कर दो।
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रुको राजकुमार ! बस अब एक काम और बाकी है, वह भी कर दो। मुझे अपनी पीठ • आँखों से दिखा दो ।
राजा अपनी बात पर अड़ा रहा। तब महाबल ने विद्या बल से राजा की गर्दन घुमा दी। अब तो राजा दर्द से चीख पड़ा
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मुझे लगता है इनके अपराध की इतनी सजा काफी है। इन्हें अब क्षमा कर दीजिए।
महाबल ने दो बड़े शीशे मँगाये और पीठ की तरफ लगाकर कहा
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देखो, अपनी पीठ देख लो।
नहीं मैं अपनी आँखों से ही अपनी पीठ देखना चाहता हूँ।
महाबल बोला
राजन् ! नगर के बाहर उद्यान में चक्रेश्वरी माता का मन्दिर है । नंगे पाँवों वहाँ जाकर अपने अपराधों की क्षमा माँगो, तभी तुम्हें इस दर्द से मुक्ति मिलेगी।
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