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________________ महाबल मलया सुन्दरी दोनों की नजरें मिलीं। पूर्व जन्मों के स्नेह का अज्ञात सुप्त तार महाबल ने पत्र लपक लिया और एकान्त स्थान झंकृत हो उठा। बहुत देर तक नजरेंपरस्पर टकराती रहीं। स्नेह परआकरपत्र पढ़ने लगा। की बिजली झनझनाती रही। राजकुमारी मलया ने प्रेम निमंत्रण प्रिय ! तुम्हें देखकर मेरे हृदय में प्रेम के पुष्प का एक पत्र ऊपरसेफेंका। पल्लवित हो रहे हैं। मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार करके रात्रि में आकर मुझसे मिलो। प्रिय! यह तुम्हारे लिये। Tota OL515 पत्र पढ़कर महाबल ने सोचा जीवन मे आज पहली बार किसी स्त्री के प्रति मन आकर्षित हुआ है। वह भी मुझे चाहती है। | फिर विचार बदले इस प्रेमजाल से रे कहीं कोई अनर्थ तो) नहीं हो जायेगा...?) नहीं! हृदय कहता है, यह प्रेम पवित्र ही होगा। सब ठीक ही होगा। GO Gi 003 (O NN VOJO मध्य रात्रि के समय राजकुमार पत्र में दिये संकेतित मार्ग से चुपचाप राजकुमारी के शयनकक्ष में पहुंच गया। Hain Education International For Private & Personal Use Only wwwsan fibrary.org
SR No.002857
Book TitleMahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanmatimuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size21 MB
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