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________________ -बिल मलयासुन्दरी बोले सिपाही दौड़े। कनकमाला ने मलया के कक्ष में आकर भीतर से दरवाजा बन्द कर लिया और मलया से बोली बेटी! मुझे बचा। राजा के सिपाही मुझे पकड़ने आ रहे हैं। हड़बड़ी में मलया ने एक पेटी में उसे छुपा दिया। सिपाहियों ने दरवाजा खटखटाया। मलया ने द्वार खोला। सिपाही यहाँ तो मैं अकेली वह राक्षसी हूँ। कोईराक्षसी कहाँ है? DO dol नहीं है। ARTHA वक७ि अब राजा को पूरा विश्वास हो गया कि मलया ही राक्षसी है। सुबह राजा ने कोतवाल को बुलाकर आदेश दिया कोतवाल अच्छा आदमीथा। परन्तु राजाज्ञा स्वीकारते हुएवह मलया को दूर जगल में ले गया और बोला देवी! मैं जानता हूँ कि तुम निर्दोष हो, परन्तु क्या करू मजबूर हूँ। मेरी तलवार तुम्हारे पर नहीं चल सकती। तुम जंगल में चली जाओ। मलया सुन्दरी को रथ में बिठाकर दूर जंगल में ले जाकर वध कर डालो। ram और मलया को जंगल में छोड़कर वह वापस आ गया। 21 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002857
Book TitleMahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanmatimuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size21 MB
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