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महाबल मलया सुन्दरी पड़ोसी राजा वीरधवल और सूरपाल ने सुना कि || दोनों ने मिलकर तिलकपुर को घेर लिया। महाबल ने युद्ध में तिलकपुर के राजा एक जोगी को राज्य सौंपकर जौहर दिखाया। आक्रमणकारी सेनाएँ भागने लगीं। मौका दीक्षित होगये हैं, तो दोनों ने मंत्रणा की
देखकर महाबल ने एक पत्र लिखकर बाण पर लगाकर चलो ! यह मौका है,
छोड़ा। बाणराजासूरपाल के पाँवों केसामने जाकर गिरा। हम पड़ोसी राज्य को जीतकर अपनी सीमा
बढ़ा लेवें।
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राजा ने बाण से निकालकर पत्र पढ़ा
राजा सूरपाल तो हर्ष से उछल पड़ा। उसने वीरधवल को खुश खबरी दी। दोनों राजा दौडे-दौड़े महाबल के पास आये।
पूज्य पिताश्री, प्रणाम!
मैं और आपकी पुत्रवधु मलया यहाँ धर्म के प्रभाव से कुशल मंगल हैं। बाकी बातें मिलने परा
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-आपका पुत्र महाबल
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युद्ध का माहौल खुशियों में बदल गया।
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