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________________ महाबल मलया सुन्दरी राजा बाहर आकर कनकमाला पर बरस पड़ा- प्रातः उसने सैनिकों को बुलाकर रानी को देश से निकालने तू अपनी नीचता का आदेश दे दिया। सैनिकों ने रानी का मुँह काला करके सीमा से बाज नहीं आती। से बाहर छोड़ दिया। अब तुझे किये का यह सब मलया के फल मिलेगा। कारण हुआ है। मैं OO उसे छोडूंगी नहीं। bom AARADAREE 04/ और क्रोध में तमतमाया राजा महल में चला गया। कुछ दिनों बाद मंत्री और महाबल अपनी राजधानी लौट आये। एक रात्रि महाबल के कमरे से अचानक लक्ष्मीपुंज हारगायब हो गया। अरे! अभी तो इधर रखा था, किसने स्टा लिया। जरूर कोई चोर घुसा है। महाबल महल से बाहर आया तो उसे हार लेकर चोर भागता हुआ दीखा। राजकुमार उसका पीछा करता हुआघने जंगल में पहुँचगया। रुक जा दुष्ट! अरे! राजकुमार मेरे पीछे। हार फेंक दूं तो जान बच जाये। चोर ने हारफैंक दिया और जंगल में भाग गया। महाबल हार लेकर वृक्ष पर बैठकर रात गुजारने लगा। 12 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.002857
Book TitleMahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanmatimuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size21 MB
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