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महाबल मलयासुन्दरी माँ, इस राक्षस राक्षस मेरे डर से अब यहाँ नहीं फिर देवी ने रानी को लकड़ी की पेटी में लिटा दिया। से मेरा उद्धार आयेगा। ले यह 'लक्ष्मी पुंज' हार कैसे होगा? तुझे देती हूँ। यह चमत्कारी हार और जब मेरी है। इसे अपने पास रखना। आँख खुली तो
मैं यहाँ थी।
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देवी की कृपा से आप सकुशल लौट आईं।
इसके पश्चात् राजा-रानी तथा सभी लोग प्रसन्नतापूर्वक नगरवापस आ गये।
लगभग एक वर्ष पश्चात् रानी ने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। उसके पश्चात एक पुत्री को और जन्म दिया। उत्सव मनाया गया। रानी ने कहा
इसका नाम मलया सुन्दरी
रखेंगे।
रानी चम्पकमाला राजा की परम चहेती हो गई और छोटी रानी कनकमाला उपेक्षिता। इससे कनकमाला मन ही मन सौतिया डाह से जलती रहती। कछ समय से महाराज मेरी उपेक्षा करने लगे हैं। बस चम्पकमाला की ही हर बात मानते हैं। हमेशा
उसी के पास रहते हैं।
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वाह ! अति सुन्दर, मलयकेतु की बहन
मलयासुन्दरी
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