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________________ महाबल मलया सुन्दरी एक दिन मलया सरोवर के पास खड़ी थी। तभी शिकार परन्तु राजा परकाम का भूत सवारथा। वह मलया के करने आये पड़ोसी देश के राजा की नजर उस पर पड़ी। पास आकर उसे पकड़ने की चेष्टा करने लगा। मलया वह उसपरआसक्त हो गया। दूर हटगई। दूररहो मुझसे। सुन्दरी ! इस घने बीहड मैं तुम्हारे साथ मैं नारी अबला हूँ तो जंगल में अकेली क्या कर रही| जबर्दस्ती नहीं करना चाहता। काली भी हूँ। मुझे स्पर्श | हो? मेरे साथ चलो। मैं तुम्हें । | इसलिए कहता हूँ तुम चुपचाप भी किया तो तुम भस्म अपनी महारानी बनाऊँगा। त मेरे साथ चलो, मैं तुम्हें हो जाओगे। सब सुख दूंगा। oor oll. olol NANN 07GICI WW12 नहीं, नहीं राजन् ! यह सम्भव नहीं है। मैं किसी की ब्याहता स्त्री हूँ। मलया कुछ सोचने लगी। तभी राजा ने || उसने शिशु को उठा लियाझोली में सोये शिशुकारुदन सुना। मैं इसे ले जा रहा हूँ। ओह! यह बच्चा भी इसी का अब तेरी इच्छा हो तो मेरे लगता है। मैं कितना भाग्यशाली साथ आजा......... हूँ। निःसंतान को संतान भी मिली और यह सुन्दरी भी। आ.. अ... बछड़े के पीछे जैसे गाय चल पड़ती है, मलया भी पुत्र मोह से विवश होकरराजा केपीछे-पीछे चलने लगी। 23 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002857
Book TitleMahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanmatimuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size21 MB
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