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महाबल की आँखों से आँसू बहने लगे
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पिताश्री ! आपने एक निर्दोष सती साध्वी को इतना कठोर aण्ड दे दिया। अब मुझे भी मार दीजिए। उसके बिना मेरा जीना व्यर्थ है।
रुक जा दुष्टा ! कहाँ भागती
है।
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● Tod
महाबल तलवार हाथ में लिये महलों में आया। कनकमाला ने ऊपर से ही उसे आते देख लिया। वह महलों के पिछवाड़े से जंगल की ओर भाग निकली।
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महाबल ने आकर कहा
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महाबल मलया सुन्दरी
फिर क्रोध में तमतमाकर बोला
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ਹਰ ਹਰ
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'पुत्र ! मेरी बहुत बड़ी भूल हो गयी। क्षमा कर दो। अब तुम मुझे छोड़कर जाओगे तो मैं भी नहीं जी पाऊँगा। पश्चात्ताप की आज में तिल-तिल जलता रहूँगा।
पिताश्री ! अब मेरे लिए | यह घर शमशान तुल्य हो गया है। मैं भी जा रहा हूँ। मलया के बिना मेरे लिए यह संसार असार है।
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वह दुष्ट
कनकमाला
कहाँ है ? 10/
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लगता है मेरा भांडा फूट अया। भागने में ही भलाई है।
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