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________________ महाबल की आँखों से आँसू बहने लगे 101 O पिताश्री ! आपने एक निर्दोष सती साध्वी को इतना कठोर aण्ड दे दिया। अब मुझे भी मार दीजिए। उसके बिना मेरा जीना व्यर्थ है। रुक जा दुष्टा ! कहाँ भागती है। DDDDD ● Tod महाबल तलवार हाथ में लिये महलों में आया। कनकमाला ने ऊपर से ही उसे आते देख लिया। वह महलों के पिछवाड़े से जंगल की ओर भाग निकली। शल महाबल ने आकर कहा Jain Education International ० महाबल मलया सुन्दरी फिर क्रोध में तमतमाकर बोला 440 ਹਰ ਹਰ GL 'पुत्र ! मेरी बहुत बड़ी भूल हो गयी। क्षमा कर दो। अब तुम मुझे छोड़कर जाओगे तो मैं भी नहीं जी पाऊँगा। पश्चात्ताप की आज में तिल-तिल जलता रहूँगा। पिताश्री ! अब मेरे लिए | यह घर शमशान तुल्य हो गया है। मैं भी जा रहा हूँ। मलया के बिना मेरे लिए यह संसार असार है। 25 BEGG For Private & Personal Use Only वह दुष्ट कनकमाला कहाँ है ? 10/ क beege लगता है मेरा भांडा फूट अया। भागने में ही भलाई है। Owood www.jainelibrary.org
SR No.002857
Book TitleMahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanmatimuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size21 MB
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