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________________ जाना महाबलमलगा सन्दरी चन्द्रावती नगरी के राजा वीरधवल की दो रानियाँ थीं-चम्पकमाला और | कनकमाला। एक दिन संध्या के समय राजा महल की छत पर खड़ा किसी विचार में डूबा हुआ था। अचानक शनी चम्पकमाला बोली महाराज! मैं बहुत देर से देखा रही हूँ, आप किसी विचार में डूबे हैं? ऊं...कुछ नहीं. बस ऐसे ही.. ecoce (Lo 03/2rR महाराज ! मैं आपकी चिन्ता का | कारण जानती हूँ। संतान का अभाव ही आपका सबसे बड़ा दुःख है। यह सब भाग्य की बात है, आपने संतान के लिये दूसरा विवाह भी किया, परन्तु फिर भी आपकी चिंता दूर नहीं हुई। आप ठीक ही कहती महाराज! जब फल पाना हमारे हाथ में हैं। प्रयत्न करना हमारा | नहीं है, तब आप चिंता क्यों करते हो? काम है, फल पाना जिनेश्वर देव की पूजा भक्ति कीजिए। हमारे हाथ नहीं हैं। नमोकार मंत्र जपिए। हमारे कष्ट अवश्य ही दूर होंगे। Voodo GOO0 COGO .OOo 200TQIOJO पठण्0000 JE p ation International For Privite & Personal Use Only nelibrary.org
SR No.002857
Book TitleMahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanmatimuni, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size21 MB
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