________________ साधना काल में भगवान पशु-पक्षियों द्वारा चोंच मारने, काटने से लहुलुहान हो जाते, चोर व व्यभिचारी पुरूषों द्वारा | फिर भी वह शान्त भाव से ध्यान में लीन रहते थे।1 ध्यानस्थ भगवान पर लाठीयों से प्रहार।। लाद प्रदेश में STARSHMA एकान्त में ध्यानलीन भगवान को व्यभिचारी कामाकुल स्त्रियाँ सताती फिर पुरूष कष्ट देते। लाढ प्रदेश में विहार करते समय जगली कुत्ते आदि उन पर झपट पड़ते परन्तु भगवान शान्त रहते। भगवान महावीर की साधना काल में होने वाले अनेक उपसर्गों का वर्णन आचारागं सूत्र के नौंवें अध्ययन में किया गया है। उसी आधार पर यह चित्र बनाया गया है। आभार-यह चित्र प्रवर्तक श्री अमरमुनि जी द्वारा सम्पादित सचित्र आचारांग-सूत्र पुस्तक से लिया गया है। For Privale & Personal use by