Book Title: Mahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Author(s): Sanmatimuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 20
________________ भयंकर युद्ध हुआ। राजकुमार महाबल ने अपनी तलवार से एक-एक कर दस्यु दल को मौत के घाट उतार दिया। लोहखुर भी ढेर हो गया। Su सब मारे गये। राजकुमारी बाहर आ जाओ। कोई खतरा नहीं है। Vibr Cour पिताश्री लोहखुर चोर का आतंक मैंने समाप्त कर दिया। उसका चुराया यह धन भी आपके सामने है। 23465 201 Jain Education International ताड़ा Lelent •महाबल मलया सुन्दरी AbTORY प्रतिष्ठानपुर पहुँचकर कुमार ने लोहखुर चोर का अपार धन पिता के सामने रखा 22 रानी कनकमाला भी उन वस्तुओं के साथ थी। उसने जब देखा कि महाबल विजयी हो गया है तो दौड़कर मलया सुन्दरी के पैरों में पड़ गई और नाटक करने लगी वाह बेटा तुमने अपनी शूरवीरता का परिचय दे ही दिया। 18 राजकुमार दस्युओं द्वारा चुराया अपार धन और कनकमाला को अपने साथ लेकर नगर की ओर चल पड़ा। | फिर राजा वीरधवल ने प्रजाजन को बुलाकर जिसका जो धन चोरी गया था, वापस कर दिया। Aook बेटी ! तुमने मुझे बचा लिया। इस दस्युराज़ ने मुझे अपने चंबुल में फंसा रखा था। अब मुझे अपने साथ ले चलो। उठिये ! आप तो मेरी माँ जैसी हैं। हमारे साथ प्रतिष्ठानपुर चलिये। कनकमाला मलया सुन्दरी के साथ ही महलों में रहने लगी। वह हर पल मलया से बदला लेने के बारे में सोचती रहती। For Private & Personal Use Only मैं मलया से अपनी बेइज्जती का बदला लेकर रहूँगी। इसी के कारण राजा वीरधवल ने मुझे देश निकाला दिया था। 10000 www.jainelibrary.org

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