Book Title: Mahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Author(s): Sanmatimuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 32
________________ महाबल मलयासुन्दरी राजा राजपरिवार के साथ नंगे पाँव हाट-बाजार से सबके सामने उसने महाबल मलया से क्षमा मांगी। तभी होकर देवी मन्दिर में पहुँचा। माता की पूजा-अर्चा की। सैनिक ने आकर समाचार दियाघुटने टेककर क्षमा माँगी और प्रार्थना की महाराज! माँ! मेरा अपराध उद्यान में ज्ञानी क्षमा करो। मुनि पधारे हैं। AGO CROQ0OOOOOOO कितना शुभ (समाचार है। चलो मुनि महाराज के दर्शन करने चलें। चक्रेश्वरी माता के प्रभाव से राजा पूर्व स्थिति में आ गया। महाबल काराज्याभिषेक किया गया। मलयासुन्दरी पटरानी बनी। सबने उनका प्रवचन सुना। राजा को आत्मबोध हो गया। महल में वापस आकर उसने महाबल से कहा राजकुमार महाबल! अब 90संसार त्याग कर दीक्षा लेना | चाहता हूँ। मेरे कोई संतान नहीं है। इस राज्य को आपसम्भालिए। FoloCAN फिर राजा ने अपनी रानियों के साथ मुनि । महाराज के पास जाकर दीक्षालेली। 30 Jain Education International For Private & Personal Use Only www ainelibrar

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