Book Title: Mahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Author(s): Sanmatimuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 12
________________ महाबल मलयासुन्दरी राजकुमारी जाग रही थी। उसने स्वागत किया राजकुमारी ने प्रणय निवेदन कियाआइये कुमार! मैंने आपको अपना सर्वत्र समर्पण कर दिया है। आपका स्वागत अब गंधर्व विवाह करके मुझे अपने साथ ले चलिए। यह लक्ष्मीपुंज हार आपके गले में डालकर आपको अपना पति स्वीकार करती हूँ। राजकुमारी के कक्ष में कोई है। मुझे पता करना चाहिए। PPSC राजकुमारी! तुम्हारा पवित्र प्रेम मुझे यहाँ ले आया | उसने दिव्य हार महाबल के गले में डाल दिया। कनकमाला ने सोचा हे भगवान ! राजकुमारी विवाह | कर रही है। आज मौका है। अपनी सौत और उसकी लड़की से पुराना बदला चुका लूँ। | उसने तुरन्त जाकर महाराज को जगाया। महाराज ! जल्दी उठिये। राजकुमारी के कमरे में कोई पुरुष है। हे! ये आप क्या कह रही हैं? ०० 8.० Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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