Book Title: Mahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059
Author(s): Sanmatimuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 10
________________ •महाबल मलया सुन्दरी प्रतिष्ठानपुर राजदरबार एक दिन राजा सूरपाल ने अपने महामंत्री से कहा महाराज आपकी आज्ञा हो तो मैं भी चन्द्रावती देखना चाहता हूँ। ७७ we राजा ने महाबल को भी स्वीकृति दे दी। राजकुमार और महामंत्री चन्द्रावती आये। राजा को उपहार भेंट किये। राजा ने महाबल को देखकर पूछा महाराज ! यह भी मेरा साथी एक सभा रत्न है। 7 इस वर्ष के अष्टान्हिक महोत्सव पर हम अपने मित्र राजा वीरधवल के लिए कोई उपहार भेजना चाहते हैं। आप स्वयं यह उपहार लेकर चन्द्रावती जाईये। ลดกลม क्या अद्भुत सौन्दर्य है ! क्या कोई देव कन्या है ? मंत्री ने राजकुमार महाबल का असली परिचय छुपा लिया। सायंकाल राजकुमार महाबल अकेला ही चन्द्रावती नगरी में भ्रमण करने निकला। महल के गवाक्ष में एक सुन्दरी कन्या खड़ी नगर की शोभा देख रही थी। राजकुमार ने महलों की तरफ ऊपर नजर उठाई तो राजकुमारी पर | उसकी दृष्टि टिक गई। O ENCICS Jain Education International महामंत्री जी ! यह वीर नर-रत्न आपके साथ कौन है ? ओह कितना सुन्दर पुरुष है यह। क्यों मेरी नजरें उस पर से नहीं हट रही हैं। Cele 8 For Private & Personal Use Only Ser www.jainelibrary.org

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