Book Title: Mahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059 Author(s): Sanmatimuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 8
________________ | बीस वर्ष पश्चात् वीरधवल के एक परम मित्र थे प्रतिष्ठानपुर के राजा सूरपाल। उनका एक पुत्र था 'महाबल'। एक दिन राजकुमार महाबल वनों में भ्रमण कर रहा था। तभी उसे प्यास लगी। सामने सुन्दर झरना है। रुककर पानी पी लेता हूँ। महाबल नें सुन्दरी को देखा और फिर उपेक्षा से वापस | जाने लगा। सुन्दरी ने फिर पुकारा तो राजकुमार ने सोचा इतनी निर्लज्ज नारी । अवश्य यह कामाकुल है। काम का वेग किसी को भी बेशर्म और पतित कर सकता •महाबल मलया सुन्दरी Jain Education International पुण् रुको राजकुमार ! मैं यों ही तुम्हें वापस नहीं जाने दूँगी। मेरा प्रणय स्वीकार करना ही पड़ेगा ! उसने शीतल, मधुर पानी पीया। तभी उसने देखा वहाँ एक दिव्य सुन्दरी उसके सामने खड़ी मुस्करा रही है। सुन्दरी | पास आई। बोली forr महाबल ने पलटकर कहा सुन्दरी ! तुम कौन हो, मुझे नहीं पता ? लेकिन कुलीन पुरुषों के लिए स्त्रियाँ माता और बहन तुल्य होती हैं। WW युवराज! तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो। आओ, मेरे पास...! 6 For Private & Personal Use Only www. very Shas मेरा तिरस्कार मत करो। जानते हो, तिरस्कृत नारी नागिन होती है। www.jainelibrary.orgPage Navigation
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