Book Title: Mahabal Malayasundari Diwakar Chitrakatha 059 Author(s): Sanmatimuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 6
________________ गुफा में रानी चम्पकमाला अकेली घूमने लगी। रानी को वहाँ भगवान ऋषभदेव की स्फटिक प्रतिमा दिखाई दी। रानी वहीं बैठकर भगवान ऋषभदेव का ध्यान करने लगी Cotaxy www Cice M xxxc Jain Education International प्रभो ! इस विकट संकट की घड़ी में आप ही मेरे रक्षक हैं। तारणहार हैं। मेरे शील की रक्षा कीजिए प्रभो ! ४ महाबल मलया सुन्दरी Mit 60000 मैं तेरी रक्षा करने ही तो आई हूँ। बोल और क्या चाहिए ? एक प्रहर तक प्रार्थना करने के पश्चात् अचानक एक दिव्य स्वरूप रानी के सामने प्रकट हुआ oa 4 पुत्री ! मैं भगवान की शासन सेविका चक्रेश्वरी देवी हैं। तेरी भक्ति से प्रसन्न हूँ। तुझे जो चाहिए वर माँग ले। माता ! मेरी गोद अभी तक खाली है। बस और कुछ भी चाहत नहीं है। For Private & Personal Use Only माता ! मेरे शीलधर्म की रक्षा कीजिए। मुझे इस संकट से उबारिए। अब समय आ गया है। तू एक पुत्र और पुत्री की माँ बनेगी। Do mmm M www.jainelibrary.orgPage Navigation
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