Book Title: Madanjuddh Kavya
Author(s): Buchraj Mahakavi, Vidyavati Jain
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 3
________________ ४२.४३ मदनजुद्ध काध्य छन्द-विधान ( 1 ) शार्दूलविक्रीडित छन्द ( 2 ) वस्न-छन्द ( 3 ) मडित्ल छन्द ( 4 ) पाथडी-छन्द (5) पद्धड़ी-छन्द ( 6 ) गाथा-छन्द { 7 ) रोड छन्द ( 8 ) एकावली-सन्द ( 9 ) मिक्का-छन्द 10 ) चउपझ्या-कुन्द ( 11 ) षटपद-छन्द ( 12 ! दाहा-छन्द (13) आभानक-छन्द ( 14 ) गीतः छन्द । ३२-३६ अलंकार-योजना अनुप्रास, श्लेष, पुनरुक्ति, वीप्सा, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, ३७.४१ उदाहरण, समुच्चय । मयणजुद्ध का भाषा-सौन्दर्य अपभ्रंश-शब्द, संस्कृत तत्सम-शब्द, राजस्थानी शब्द तद्भव, ब्रज, देशी, अरबी-शब्द । मयणजुद्ध की भाषा पर अपभ्रंश का प्रभाव ( 1 ) उकार बहुल, ( 2 ) उपधा स्व! की सुरक्षा ( ३ ) आदि स्वर लोप ( 4 ) अपभ्रंश में के स्थान पर रि का प्रयोग ( 5 ) पद के अन्त में दीर्घ स्वर के स्थान पर ह्रस्व स्वर का उच्चारण (6) अपभ्रंश में एक स्वर के स्थान घर दूसरा स्वर (7) दन्त व्यंजनों के स्थान पर मूर्धन्य का प्रयोग (8) वर्णागम (9) वर्णविपर्यय ( 10 ) वर्णलोप । ४३-४४ प्रस्तुत ग्रन्थ में भाषा व्याकरणिक प्रवृतियाँसर्वनाम.... पुरुषवाचक, निशयवाचक, अनिश्चयवाचक, निजवाचक, प्रश्नवाचक কা — कर्ना, कर्म, करण, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण, परिसर्गक्रिया-भूतकाल भूतकृदन्त, वर्तमान काल. भविष्यत काल क्रिया-विशेषण कालवाचक, स्थानवाचक, रीनिवाचक, परिमाणवाचक ध्वन्यात्मकशब्दक्रियापद ५ X

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