________________
• सिद्धि मंत्र
ॐ हीं वरे सुवरे अ सि आ उ सा सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु। • कार्य सफलता मंत्र
ॐ सिद्धं णमो सिद्धं जय सिद्धं विजय सिद्धं सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु सिद्धा सिद्धा सिद्धा सिद्धा। निष्कर्ष
चंद्रमा की महिमा का रहस्य है-निर्मलता सूर्य की महिमा का रहस्य है-प्रकाश, तेजस्विता सागर की महिमा का रहस्य है-गहराई हिमालय की महिमा का रहस्य है-ऊँचाई
निश्चय ही वह व्यक्ति महान होता है, जिसमें निर्मलता, प्रकाश, तेजस्विता, गहराई और ऊँचाई होती है। इन सबका योग दुर्लभ है और दुर्लभ है इन सबसे समन्वित व्यक्तित्व का निर्माण। लोगस्स का यह अन्तिम पद्य विधि पूर्वक एवं लक्ष्य पूर्वक चैतन्य केन्द्रों पर अपने-अपने वर्गों के साथ साधना के लक्ष्य से अभ्यास में लाने से उपरोक्त गुणों का विकास संभव है और उत्तम समाधि की प्राप्ति होती है। संदर्भ १. जैन धर्म के साधना सूत्र-पृ./१४५ २. साधना और सिद्धि-पृ./१६ ३. मन का कायाकल्प-पृ./६६ ४. लोगस्स कल्प (मंत्र विद्या पृ.४०) ५. युवादृष्टि, २००८, दीपावली अंक
समाहिवर मुत्तमं दितु-२ / ३७