Book Title: Logassa Ek Sadhna Part 02
Author(s): Punyayashashreeji
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh Prakashan

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Page 171
________________ 1 के लिए उपशम भाव का बहुत बड़ा प्रयोग प्रस्तुत कर दिया। अपने साधना काल में आने वाले आन्तरिक विक्षेपों के समाधान का एक अनुभूत मार्ग प्रस्तुत कर दिया । जिसके गायन मात्र से मन के उद्वेग, तन के आवेग, इंद्रियों के संवेग शांत हो जाते हैं । बशर्ते गायन में तन्मयता आए । संघ को जयाचार्य की यह एक महान आध्यात्मिक कृति चौबीसी उपलब्ध है जो भक्ति रस की एक उत्कृष्ट अमर-रचना है। महाकवि ने भाव-विभाव से मुक्त होकर स्वभाव में स्थित हो भक्ति की अद्भुत भावधारा में बहकर ऐसे विशाल रूप में इस कृति का प्रणयन किया है कि इसका एक-एक शब्द मंत्राक्षर की तरह प्रभावशाली, चामत्कारिक और अमृत बिंदु की भांति आनंददायी बन गया है। आनंद की उर्मियों में चेतना नहा लेती है, भावनाएं उज्ज्वल हो जाती हैं, रसमय, भक्तिमय एवं निर्वेदमय हो जाती हैं। जयाचार्य की साधुता में करुणा, भक्ति, वैराग्य की त्रिवेणी मिलकर अनूठी पवित्रता, सत्वर प्रगति और रसमयता पैदा करती है । रामचरित मानस के रचियता संत तुलसीदास की रचनाएं विश्व में अद्वितीय मानी जाती हैं इसका कारण अपने आराध्य और साध्य के साथ जुड़ी उनकी तल्लीनता है। अन्वेषणात्मक और तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो श्रीराम के प्रति अखण्ड असीम भक्ति-पूर्ण विद्वता, अनुपम कवित्व शक्ति और उनसे उत्पन्न अबाध तल्लीनता के विरल योग के कारण ही गोस्वामीजी का रामचरित मानस विश्य साहित्य की उत्कृष्ट निधि बन गई। जयाचार्य श्री की रचनाओं में भी भक्तिकाव्य का उत्कृष्ट नमूना देखा जा सकता है। उनके भक्ति काव्यों की श्रृंखला का अमर हस्ताक्षर - चौबीसी में वैराग्य रस, शांतरस और भक्ति रस- ये तीनों प्रकार के रस अपनी पराकाष्ठा के साथ छलक रहे हैं। सचमुच वे एक उच्च कोटि के भक्त कवि थे । भक्ति रस से ओत-प्रोत उनकी अनेक रचनाएं जब लोकगीतों के रूप में जन-जन के मुँह पर थिरकती हैं तो व्यक्ति की अध्यात्म चेतना झंकृत हो उठती है । एक अध्यात्म कृति होते हुए भी चौबीसी में उसका साहित्यिक रूप भी कम निखरा हुआ नहीं है । मन की निर्मलता व निर्विकारता की उसमें पुनः पुनः प्रेरणा दी गई है । उपसर्ग शमन के भी कितने प्रयोग चौबीसी में छिपे हैं । गाथा - गाथा में ऐसे बीसों प्रयोग सिद्धमंत्र पद हैं चौबीसी में, जो विकट से विकट स्थिति में ऐहिक और पारलौकिक समाधि के हेतु बनते हैं। चौबीसी एक ऐसी कृति है जिसके संगान से अन्तर्दृष्टि जागती है वीतराग भाव आता है। आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने मंत्र - एक समाधान में चौबीसी के कतिपय मंत्राक्षरों की प्रस्तुति दी है उनमें से कुछ विशिष्ट मंत्रों का विवरण निम्न प्रकार है चौबीसी और आचार्य जय / १४५

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