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मंत्र केन्द्र जप संख्या लाभ ॐ प्राण-केन्द्र १००० जप मिर्गी के दौरे, उच्च रक्तचाप जैसी
समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। हीं दर्शन-केन्द्र १००० जप शक्तिशाली मंत्र है। रक्षाकवच है।
इस प्रयोग से बाहर के प्रभाव का
असर कम हो जाता है। अहँ ज्योति केन्द्र १००० जप अर्हताओं को विकसित करने का मंत्र नमः ज्ञान-केन्द्र १००० जप अर्हताओं को विकसित करने का मंत्र
जप व ध्यान हमारे अन्तर की ऊर्जा को संग्रहित करता है। मोबाइल फोन को प्लग में लगाने से बेटरी चार्ज हो जाती है वैसे ही ध्यान, योग, समिति, गुप्ति आदि आराधनाओं के द्वारा भीतर की शक्तियां संग्रहित होने लगती हैं। अर्हत् जप व अर्हत् का ध्यान करने से आत्मा के साथ संपर्क स्थापित होता है। इस संपर्क से अशुभ लेश्याएं शुभ लेश्या में बदल जाती हैं।
वर्तमान संदर्भ में हम देख रहे हैं कि कुछ ऐसी मशीने आ गई, रोबोट खराब हो गया तो आपको उसे ठीक करवाने के लिए मैकेनिक को बुलवाने की जरूरत नहीं, उसी के अन्दर सारे पुर्जे रहते हैं, खराबी आते ही औजार स्वतः बाहर निकलते हैं और उस पुर्जे को ठीक कर देते हैं वैसे ही हमारी आत्मा की मशीन ठीक करने के पुर्जे, हमारे ही भीतर में पड़े हैं। आत्मा के उन पुों में 'सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु' यह एक ऐसा शक्तिशाली और विलक्षण पुर्जा है। जो सर्वत्तोभावेन आत्मा की स्वस्थता के लिए सतर्कता पैदा करता रहता है। ___हमारे मस्तिष्क में ग्रे रंग-धूसर रंग का एक द्रव्य पदार्थ है, वह समूचे ज्ञान का संवाहक है। पृष्ठरज्जू में भी यही पदार्थ है। धूसर तथा ज्योतिर्मय श्वेतवर्ण के साथ ज्ञान-केन्द्र पर इस मंत्र पद का ध्यान करने से ज्ञान की सुप्त शक्तियां जागृत होती हैं एवं चेतना का जागरण होता है, इसके साथ-साथ कुछ अन्य आत्म शक्तियों का जागरण भी होता है१. मन, वचन व काया की गुप्ति का विशिष्ट होना २. चित्त का सदैव प्रसन्न रहना ३. आर्त, रौद्र ध्यान का प्रसंग न आना ४. धर्म ध्यान व शुक्ल ध्यान की धारा का सतत् प्रवाहित रहना।
तनाव मुक्ति, मन की स्थिरता और कलह निवारणार्थ ज्ञान-केन्द्र पर श्वेत वर्ण की धारणा के साथ 'ॐ' का जप भी किया जाता है।
६० / लोगस्स-एक साधना-२