Book Title: Kuvalaymala Part 02
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust

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Page 21
________________ १८ 1 केवल - णाणुप्पत्ती तस्स खओ दो वि जायाई ।। I एवं च तक्खणं चेय तत्तिय - मेत्त - कालाओ अंतगड - केवली होहि त्ति । तेण 3 भणिमो जहा एस अम्हाणं सव्वाण वि पढमं सिद्धिं वच्चिहि । अम्हाणं पुण दस-वास-लक्खाउयाणं को वच्चइति । (१८४) 5 (१८४) इमं च रण्णुंदुरक्खाणयं णिसामिऊण सव्वाणं चेय तियसिंदप्पमुहाणं सुरासुराणं मणुयाण य महंतं कोउयं समुप्पण्णं । भत्ति- बहु-माण-सिणेह7 कोउय- णिब्भर-हियएणं सुरिंदेणं आरोविओ णियय - करले सो रणुंदुरो । भणियं च वासवेणं । ‘अहो, 9 तं चिय जए कयत्थो देवाण वि तं सि वंदणिज्जो सि । अम्हाण पढम-सिद्धो जिणेण जो तं समाइट्ठो ।। भो भो पेच्छह देवा एस पभावो जिणिंद - मग्गस्स । तिरिया विजं सउण्णा सिज्झति अणंतर - भवेण ॥ 13 तेणं चिय बेंति जिणा अहयं सव्वेसु चेय सत्तेसु । जं एरिसा वि जीवा एरिस - जोणी समल्लीणा ।। ' 15 एवं जहा वासवेण तहा य सव्व - सुरिंदेहिं दणुय -णाहेहि य णरवइ-सएहिं हत्थाहत्थिं घेप्पमाणो राय - कुमारओ विय पसंसिज्जमाणो उववूहिज्जंतो 17 थिरीकरिज्जंतो वण्णिज्जंतो परियंदिओ पूइऊण पसंसिओ । अहो धण्णो, 1 अहो पुण्णवतो, अहो कयत्थो, अहो सलक्खणो, अहो अम्हाण वि एस संपूर19 मणोरहो त्ति जो अणंतर-जम्मे सिद्धिं पाविहइ । ण अण्णहा जिणवर-वयणं 11 ति । एयम्मि अवसरे विरइयंजलिउडेण पुच्छियं पउमप्पह-देवेणं । भणियं च 21 णेण 'भगवं, अम्हे भव्वा किं अभव्व' त्ति | भगवया भणियं ' भव्वा' । पुणो देवेण भणियं 'सुलह- बोहिया दुलहह - बोहिय' त्ति । भणियं च भगवया 'किंचि 1 1) P, after तस्स, reperats अउव्वकरणं खमगसेढी etc. to केवलनाणुप्पत्ती तस्स. 2) P om. च, J मेत्तकला (त) ओ Jom. त्ति. 3) P एसो for एस. 4) P सहस्साउ for लक्खाउ, J वच्चिइ P वच्चउ. 7) J करयलंजलि (णे?). 11 ) P सहावो for पभावो. 12) P भवेसु. 13 ) P तेयणं for तेणं, P अहियं. 15) P वावेण्ण for वासवेण, J om. य, P नरवर. 16) P हत्थाहत्थेहिं, P रायकुमारो, P उवगूहिज्जंतो. 17) P om. वण्णिज्जंतो (of J ? ), J विपरिअंदिओ, P पसंसिऊ. 18) P सव्वहा for अहो before अम्हाण, P संपन्न for संपूर. 19) J जिणवयणं. 20) Padds य before अवसरे, P विरइय पंजलि॰. 21 ) P अम्हा for भव्वा after भणियं, J om. पुणो देवेण भणियं. 22) J दुलहबोधिअत्ति .

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