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श्रावण परन्तु अक्षर-शानसें हो कोई सुशिक्षित और शिक्षाथी थमायतन विकसित हो जाय, ऐंसा नहीं माना जा सकता। (भुमा सभायार : समापसे) वास्तवमें शिक्षा यह है जो मनुष्यमें उसके स्वधर्मानुकूल कर्तव्यको जाग्रत करके उसे उस
___समनौना सभायार सां५ छ , त्यांनी युनीकर्तव्यका पूरा पालन करने योग्य बना दे। पास नी मां ५01 याप्रसाद खना यूरोपकी स्त्रीशिक्षाने यह काम नहीं किया।
' લખનૌ યુનીવર્સિટીમાં સહશિક્ષણની પ્રથા સદંતર स्रोयोंको उनके नैसर्गिक धर्मके अनुकूल शिक्षा
- બંધ કરવાનો ઠરાવ પસાર થયો છે. આ ઠરાવે ત્યાંના मिलती तो बहुत बड़ा लाभ होता प्रकृतिके विद्यार्थीमी, शिक्ष। तभ० साराये समाजमा में विरुद्ध शिक्षासे इसी प्रकार बडी हानि हुई है। स२॥ मगमगाट व्यछे. इस युगमें स्त्रियोंको जो शिक्षा दी जाती है, क्या . यमनी युनीवर्सिटी की मां पसार उससे सचमुच उनका स्वधर्मोचित विकास येलो मे ४२।५ नावे छे , “ । समानो मत हुआ है ? क्या इस शिक्षासे स्त्रियाँ अपने छ, । युनीवर्सिटीमा स्त्री-पुषीना साक्ष) कार्यक्षेत्रमें कुशळ बन सकी है ? क्या अपने मने पास प्रशने ५३५ शिक्षा हाथ तणे - क्षेत्रमें, जो उनको नैसर्गिक स्वतन्त्रता थी, नन पशम मायां छे, तेथी ४२वामां आवे उसकी पूरी रक्षा हुई है ? उसका अपहरण छ, नती हाथ मे प्रथा ५५ ४२१। भाटे योग्य तो नहीं हो नया है ? सच पूछिये तो सैकडों सत्तावाणामाने मसाभार ४२वी; परात ४२वामा वर्षोसे चली आती हुई यूरोपको शिक्षाने वहाँ, आवे छे , मोह स्त्री-सस्थासोमांथा मेहने कितनी महान् प्रतिभाशालिनी स्वधर्मपरायणा युनीवर्सिटी स सेवी, मया सेम न मनी ? जगतकी नैसर्गिक रक्षा करनेवाली महिलाओंको तापातानी स्त्री-लेन पी.". उत्पन्न किया है ? बल्कि यह प्रत्यक्ष है कि इस 20 अवश मे४ समनौनी नथी. शिक्षासे
गृहिणीत्व तथा
। तथा भुम भने सेना पनगरानी शाणायाना मातृत्वका हास हुआ है। अमेरिकामें ७७ प्रति- शिक्षा तमासी गडेर संस्थामांना सया। शत स्त्रियाँ घरके कामोंसें असफल साबित समयमा भूतामा साये मोपा हार हुई है। ६० प्रतिशत स्त्रियोंने विवाहोचित भाव्या छ भने से भाटे थे। बीस सुधी भारे उम्र बीत जानेके कारण विवाहको योग्यता
ઉહાપોહ પણ ચાલ્યો છે; અને આખરે એ સારીયે खो दी है । विवाहकी उम्र वहाँ साधारणत: १६ से २० वर्ष तकको ही मानी जाती है। वस्तुन मीनी सक्षी ५ वा छे. इसके बाद ज्यों-ज्यों उम्र बडी होती है त्यों- सहशिक्षण मापती मने पु३५ शिक्षा हो-त्या विवाहकी योग्यता घटतो जाती है। शाजासामा तेभ सेवानी हेवाती २ संस्थामामा इसका परिणाम है कि वहाँ स्वेच्छाचार, यात्रता मापात ये हीनविहान वतian अनाचार, व्यभिचार और अत्याचार बढ़ गया २था छ भने मे भाटे तरह-तरेनी अवामे पण है । अविवाहित माताओंकी संख्या क्रमश: ता. २७ी छ. भानगीमा ५ घाउ छोय मुधा बढ़ो जा रही है। घरका सुख किसीको नहीं। नाम। साथे भूप भूप पातो भने यर्यामी पर बीमारी तथा बुढ़ापेमें कौन कीसकी सेवा करे? यासती २७ छ. २५५माराना पाने ५५ अपारनपार वहाँकी शिक्षिता स्त्रियों में लगभग ५० प्रतिशतको से वात। सने से यर्यामा वीजानीनोम यमी कुआँरो रहना पडता है, और बिना ब्याहे हो ५५ नय छे भने अममारनवेश। सीधी ३ मा - उन्हें वैधव्यका-सा दुःख भोगना पडता है ! तरी ते भूण नामाना भुसे निर्देश ४ विना यही क्या बहुमुखी विकास है ?
વ્યંગહસ્યની છોળો પણ ઉડાવતા જણાય છે.