Book Title: Kalplata Vivek
Author(s): Murari Lal Nagar, Harishankar Shastry
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 510
________________ 230 275 2 175 14 परिशिष्टं प्रथमम् / प्रमाणानामुदाहरणानां च पद्यानामकाराधनुक्रमः / .. पृ० 10 - पृ० 50 अकर्तव्येवसाध्वीव 118 17 | अप्रियनिवेदनाद्यो [भ. ना शा. 295 9 अकाण्ड एव [ध. 3-19] 178 24 अग्निदो गरदश्चैव [स्मृतिः] 317 27 | अप्रियनिवेदनाद्वा [भ. ना. शा. अङ्गुरितः कोरकितः 150 3 अङ्गभूता हि तालस्य [भ. ना. शा. 37 19 अभिधा भावना चान्या (भट्टनायकः) 307 7 31, 530] अमृतस्येव कुण्डानि अज्झाइ पहारो 123 1 अम्बा शेतेऽत्र वृद्धा 143 15 अणुदियससयाभोया 18 23 | अयमेकपदे तया वियोगः [विक्रमो. 176 अण्णोणं अतन्द्रचन्द्राभरणा अयं बन्धुः [पञ्चतन्त्रमित्रलाभे] 28 अतिक्रान्तसुखाः काला: अयं रणः 107 13 अत्ता एत्थ णुमज्जइ [ गाथास. श. 243 21 अर्थशक्तेरलङ्कारो [ध्व. का. 48] 145 अत्र शुष्काक्षरेरेव [ भ. ना. शा. 5 25 अर्थशक्त्युद्भवस्त्वन्यो [ध.का. 45] 141 18 38 23] अर्थः [योऽर्थः] सहृदयश्लाध्यः 105 'अथ नवमालिनी यदि न जौ भ्यौ' 214 26 | [ध.का. 2] अथानन्तयनियमः 22 19 / अर्थान्तरगतिः काक्का [ध्व. 3 38] 183 13 अध्वगतेायामात् [भ ना. शा. 291 7. अर्थान्तरे सङ्क्रमित- [ध्व. का. 23] 125 23 7 47] 155 15 अर्थोपलब्धिः अनवरतनयनजललव 168 9 अनिमित्तहसितरुदितो- [भ. ना. शा. 300 15 अलङ्कारान्तरव्यङ्गयभावे [ध्व. का. 152 8 अनिष्टस्य श्रुतिर्यद्वद् 164 23 अलङ्कारान्तरस्यापि ध. का. 50] 146 10 अनुरागवती सन्ध्या (टि 10) 180 23 अलब्धमिच्छेद् दण्डेन अनुस्वानोपमात्मापि [ध्व. का. 71] 173 15 अलं स्थित्वा [म.भा.शा.प. 174 7 अन्नत्थ वच्च वालय 173 19 153 11] अन्ये परप्रयुक्तानां 54 15 | अलिमिः कुन्तलपाशैः 254 23 अपह्नुत्ति विशेषोक्ति [ उद्भट का. 264 23 | अवयस रोत्तुं चिय 176 5 अविमृश्य तु यत्कार्य [भ ना.सा. 294 अपृथकृतसाध्योऽपि 68 24 अप्रामाण्यं त्रिधा भिन्नं 55 8 | अविरलकरवालकम्पनै 130 1

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