Book Title: Kalplata Vivek
Author(s): Murari Lal Nagar, Harishankar Shastry
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 539
________________ 350 कल्पलताविवेके "परभूमिरियमर्थस्य प्रकाशमानता नाम" "परिव्यवेभ्यः क्रियः" [पा.सू. 1 3 18] 3 21 "पीनो देवदत्तो दिवा न भुङ्क्ते' [मीमांसा] 68 27, 69 11 प्रत्यक्षानुमानागमाः प्रमाणानि // [पा. यो. द 1 7] 32 15 "प्रथमानिर्दिष्टं समास उपसर्जनम्" [पा.सू. 1 2 43] 5 11 "प्रधानेन हि व्यपदेशा भवन्ति" __ [परिभा० शे०] 115 18 प्रमाणविपययविकल्पनिद्रास्मृतयः // (पा.यो.द. 1 6] 32 14 प्रवसतः पुरस्तादिव इति न्यायेन / 263 24 "प्रशंसावचनैश्च / [पा.सू. 2 1 66] 19 ब्राह्मणश्रमणन्यायेन 106 21 भिन्नानामपि पदानामेकपदप्रतीभासहेतुरनतिकोमलो बन्धविशेषः श्लेषः / ' 24 8 "भुजोऽनवने" [पा.सू. 1 3 66] 3 16 'मन्त्रायुर्वेदवच्च तत्प्रामाण्यमाप्तवचनप्रामाण्यात्" [गौ.न्या.सू 21 69] 66 26 मन्दार कुसुमरेणुपिञ्जरितालका 168 7 मयूरव्यसकादयश्च / (पा.सू 21 72] 19 19 मात्स्यन्यायश्च / [लौकिकन्यायाञ्जलि भा. 2] 256 17 "म्लेच्छो ह वा एष यदपशब्दः" [महाभाष्य 1 1 1] 2 19 यत्रार्थधर्मनियमः 230 17 'यथातत्त्वं नाधिगतार्थः" 89 24 यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोऽष्टावङ्गानि // [पा.यो.द. 2 29] 32 1 'यस्य च भावेन भावलक्षणम्' [पा.सु. 2 3 35] 267 14 यस्य येन सम्बन्धः स तेन साकं दूरस्थोऽपि सम्बध्यते / इत्यादिशास्त्रीयन्यायः। 13 टि.२ "यादृशो यक्षस्तादृशो बलिः" [लौकिकन्यायाञ्जलि भा. 2] 63 25 योगश्चित्तवृत्ति निरोधः // [पा.यो.द. 1 2] 32 10 "राजा राजसूयेन स्वाराज्यकामो यजेत' [मीमांसा] 72 25 राजाश्रयामात्यादिप्रकृतिवर्गन्यायेन / 168 1 "राजा सर्वतो विजिती अश्वमेधेन यजेत' [मीमांसा] 72 26 "वचनविघातोऽर्थविकल्पोपपत्त्या छलम्" [न्या.सू. 1 2 10] 64 14 "वो वपूण सवर्णः” [सारस्वतस्वरसन्धिसमुद्धतम् ] 92 24 'विपराभ्यां जे." [पा.सू. 1 3 19] 3 20 विपर्ययो मिथ्याज्ञानमतद्रूपप्रतिष्ठम् // [पा.यो.द. 1 8] 32 15 विभागे सति साकाङ्क्ष चेद्भवेत्तत एकं वाक्यमर्थकत्वात् // [जै.सू.] 2736 'विरसविरामं यतिभ्रष्टम् / " [वामनका.लं.सू. 2 2 3] 16 10 'विशेषणं विशेष्येण बहुलम्' (पा.सू. 2 1 57] 5 टि. 10 विशेषप्रतिषेधे शेषाभ्यनुज्ञानम् / / 126 19 'वीतरागजन्मादर्शनात्" [न्या.सू. 3 1 24] 83 1

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