Book Title: Kalplata Vivek
Author(s): Murari Lal Nagar, Harishankar Shastry
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 518
________________ प्रमाणानामुदाहरणान चां पद्यानामकाराद्यनुक्रमः / 329 76 भाषत्रातहअज्जनस्य 117 2 माभा साधावायाकाना 226 23 भावेष्वेतेषु नित्यं हि [भ.ना.शा. 103 21 | मा भा साशीहीः स्त्रीधामा 225 12 19 48] मा मुक् दिक् धक् दृग् द्वार्मा 227 8 भास्वत्करविराजिनी मा मेधा धामा मूर्धा मेमा मामेधूः 224 // भिन्नकालं कथं माया माशीर्गीवमेनायायानामे 225 24 भिन्नो रसाधलङ्कारात माया मेधा यामा धामा 224 5 भुक्तिमुक्तिकृदेकान्त माया शीर्गीः श्री/ःस्त्रीही- 227 6 भूतपिशाचग्रहणा [भ. ना. शा. मावासा कामा भामा या- 226 मा वासा काभा मा या या 226 1 भ्रकुटिकुटिलोत्कटमुखैः 289 24 मास्त्री याशीर्भाधीः काही- 226 21 भ्रमिमरतिमलसहृदयतां मांसासृक्श्लेष्ममेदोऽस्थि- 230 11 [टि. 2]138 3 | मुख्या महाकविगिरा- [ध. 4 37] 182 16 मणिः शाणोल्लीढः [भर्तृहरि नी.श.४४] 116 5 मुख्यां वृत्तिं परित्यज्य [ध्व.का. 20] 124 9 मतिमोहविधायिनामभूत्यै मुख्यो व्यापार- [ध्व. 3 75 90 . भध्यमोदीच्यवा [भ. ना. शा. 73 1 | विषयः परिकर श्लोकः] 178 25 चैव तथा 28 55] मुहुरङ्गुलिसंवृताधरौष्ठं [अभि.शा. 177 / मध्यमोदीच्यवा चैव [भ. ना. शा 33 19 3 23] नन्दयन्ती 28 41] मूः पूर्वी रुग्वामागौः / 224 मनु विरतिनजो . 200 - 21 | मूस्रः सूधूः पूभूः सक् 224 15 मनुष्यवृत्त्या समुपाचरन्तं 177 16 मेमा मामः / मामे मामाः // 224 8 168 . 7 मन्दारकुसुमरेणुपिञ्जरितालका मेरूरुकेसरमुदारदिगन्तपत्र- 131 21 म्नी म्नौ यो यः महाचार्या प्रयुक्तायां [भ. ना. शा. 34 1 207 यच्च कामसुखं लोके [भ.ना.शा..] 82 5 54] 40 20 महाप्रलयमारुत [वेणी. 3 4] 99 26 यच्चेतोहारि साधर्म्य यतस्ते चादय इव महाभैरवनादाद्यैः [भ. ना. शा. 301 26 यतीनां वा विकल्पानां 206 13 यत् [यः]कालागुरुपत्र- (भटेन्दुराजस्य) 150 महिलासहस्स भरिए महुमहदंसणओग्गं 256 1 यत्वन्नेत्रसमानकान्ति मानसं चाक्षविज्ञाना ___37 25 मानिनीजनविलोचनपाता यत्पल्लवे न विवृतं [क. ल. वि.] 1 मा निषाद प्रतिष्ठां [रामा. बा. 1] 111 21 | | यत्र प्रतीयमानोऽर्थः [ध्व. का. 54] 153 22 मा पंथ रुंध महं [गा.स.श. 961] 176 12 155 23 मा भवन्तमनल १५स 13 | यत्रार्थः शब्दो वा [ध्व.का. 13] 113 24 धामा 225 20 | यथा पदार्थद्वारेण [व. 10] 113 8

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