Book Title: Kalplata Vivek
Author(s): Murari Lal Nagar, Harishankar Shastry
Publisher: L D Indology Ahmedabad
________________ 161 21 130 प्रमाणानामुदाहरणानां च पद्यानामकाराद्यनुक्रमः। 333 श्वापदगजतुरगरथोद्भवं [भ.ना.शा. 301 13 | सर्वक्षितिभृतां नाथ [विक्रमोर्वशीये 178 4 (पूर्वाधम् / ) 4 27] षट्केन युगपद्योगात् [रत्नाकरावता. 48 10 रामा (उत्तरार्धम् / ) टि. 1 षाड्जी चैवार्षभी चैव- [भ.ना.शा. 33 13 सर्वार्थरूपताशुद्धि 50 22 28 38] सर्वेष्वेव प्रभेदेषु [ध.का. 56] 155 13 सङ्घोटनक्रियायां तु [भ.ना.शा. 40 9 सर्वेकशरणमक्षय- (टि. 1,140 4 स वक्तुमखिलान् शक्तो 148 2 सङ्घोटना ततः कार्या [भ.ना.शा. 35 19 161 14 5 10] 152 14 सव्यहस्तनिपातः स्यात् [भ.ना.शा. 38 12 सज्जेइ सुरहिमासो 31 38] 144 21 सत्यं मनोरमा रामाः सहसा भूमौ पतनं [भ.ना.शा. 298 1 सदयं बुभुजे 243 20 7 74] सन्ति सिद्धरसप्रख्या [ध. 3 0 80 4 सहि णवणिहुवणसमरम्मि 161 27 तम्याः परिकर श्लोकः।] 173 13 सहि विरइऊणमाणस्स 162 11 सन्त्रासाच्छोकाद्वा [भ. ना. शा. 290 17 संसर्गि भेदकं यद्यत 231 23 7 15] साकं कुरङ्गकदृशा स पातु वो साध्यत्वेनेप्सितः (आचार्यदिङ्नागः) 57 समपाणिश्च विज्ञेयो [भ. ना. शा.] 37 21 | | साया सामा नाया भाया माया 226 समर्पकत्वं काव्यस्य [ध्व.का. 33] 134 25 | सायरविइण्णजुव्वण 1456 सम्भावनाप्रमाणों (भट्टतोतः) 302 17 | सिवेणे वि 244 सिहिपिछकण्णऊरा 145 14 समविसमणिमिसेसा | सिंहः प्रसेनमवधीत् समस्तगुणसम्पदः (अभिनवगुप्त) 129 21 सुखदुःखमतिकान्तं [भ. ना. शा. समासतस्तु व्याधीनां भ.ना.शा 300 4 7 54]] सुप्तिब्[]वचनसम्बन्धै- 174 21 समुदायार्थशून्यं यत् [भामहका. लं. 78 3 सुवर्णपुष्पां पृथिवीं 120 21 121 22 सम्पदो जलतरङ्गविलोला 17 11 सुवाक्यमधुरैः [भ.ना.शा.] सम्बन्धि रघुभूभुजां 163 19 | सुहअ विलंबसु थोअं 115 15 सरसं मउयसहावं 140 13 | सोच्छ्वसितेनिःश्वसितैः [भ.ना.शा. 291 24 सरसिजमनुविद्धं (शाकु. 1 18] 156 9 7 51] सरस्वती स्वादु तदर्थवस्तु [ध 6] 112 5 | सोऽयं गुणः 27 11 सरूपवर्णविन्यास - [भामहका. लं. 186 23 | सो रोसेण 276 12 2 5] | सोऽर्थस्तद्व्यक्तिसामर्थ्य- [ध्व.का.८] 112 20 2296
Page Navigation
1 ... 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550