Book Title: Kalplata Vivek
Author(s): Murari Lal Nagar, Harishankar Shastry
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 512
________________ 100 प्रमाणानामुदाहरणानां च पद्यानामकारानुक्रमः। 323 - इष्टजनस्य वियोगाद् [भ.ना.शा. 297 9 उद्वेगः पञ्चमे ज्ञेयो [भ.ना.शा. 304 1 ___ 70] / 24 161] इष्टस्यार्थस्य रचना [भ ना शा. 89 16 / उन्नतः प्रोल्लसद्धारः (टि. 7) 139 13 21 53] उद्यता जयिनि .. . 22 7 इष्टं वानिष्टं वा [भ ना शा. 295 28 उन्मादेऽसूयिते चव. [भ.ना शा. 104 3 19 51] इह शिष्ट उपक्षेपेण काव्यस्य [भ.ना.शा. 39 1.1 1 ईसाकलुसस्स 149 4 5 29] . 152 22 उपचरिताप्यतिमात्रं 162 10 उपाधिभावात् स्वां उक्तिस्वरूपावच्छेद फलो 22 . 10 उभयमुहं रासिदुर्ग * उक्त्यन्तरेणाशक्यं [ध.का 18] 123 11 उरसः शिरसः [भ.ना.शा 101 उच्चिणसु पडियकुसुमं 154 18 कण्ठात् ( पूर्वार्धम् ) 19 41] उच्चो दीप्तश्च मन्द्रश्च [ भ ना.शा. 103 3 ___ आभाषणं तु [भ.ना शा. 102 19 19 45] (उत्तरार्धम् ) उत्कृत्तजर्जर एकस्मिन्नपि वा उत्कृत्यां मौनौनींरः एक दशशतमस्मात् ___२१९(टि. 2) उत्तमसत्तः शेते [भ. ना. शा. 290 एकादिषु क्रमेणैत्र एकाश्रयत्वे निर्दोषो- [ध्व. उ. 3 82 10 उत्तरमन्द्रा रजनी [भ. ना शा. का. 82] 178 27 33 1| एकैकवृद्ध एकादौ 28 27] . 2011 उत्तरोत्तरसंजल्पे [भ ना. शा. 103 17 एकत्तो रुयइ पिया 87 एगाई एगुत्तरपरुषा 19 46] उत्तरोत्तरसअल्पे [भ. ना. शा. 104 5 एतत्तु क्षतिमातनोति [रामाभ्युदये] 297 1 एतद्यथोक्तमौचित्यमेव [ध का. 64] 172 15 कार्ये- 19 52] एतानि तु बहिर्गीतानि [भ.ना.शा. उत्तानालिसङ्कोच [भ. ना. शा. 38 7 35 21. 5 11] उत्साहाध्यवसायाभ्याम् [भ.ना.शा. 298 26 एताभ्यो दास्यति एते च रसवदाद्यलङ्काराः / 280 उदात्तश्चानुदात्तश्च [ भ.ना.शा. 102 26 एते रुदन्ति एभिर्भावविशेषैः [भ.ना शा. 19 43] 290 उद्दीपनप्रशमने [ध का. 88 2 एमेय जणो तिस्सा (पूर्वार्धम् ) 69] रसस्यारब्धविश्रान्ते [ध्व. का. 87 18 ऐश्वर्येष्टद्रव्यापहार- [भ.ना.शा. 291 22 (उत्तरार्धम् ) 69) जनिता 214

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