Book Title: Kalpasutram
Author(s): Kanakvimalsuri
Publisher: Muktivimal Jain Granthmala
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________________ श्रीसमा श्री कल्पमुक्तावल्या // 454 // अस्थि कुंथू अणुद्धरी नामं जा ठिया अचलमाणा छउमत्याणं निम्गंधाण वा निग्गंथीण वा नो चक्खुप्फासंहव्वमागच्छइ, जा अद्विया चलमाणा छउमत्थाणं निग्गंधाण वा निग्गयीण वा चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ जाव छउमत्थेणं निग्गंथेण वा निग्गथीए वा. अभिक्खणं अभिक्खणं जाणियव्वा पासियव्वा पडिलेहियव्वा भवइ से तं पाणसुहुमे // 1 // मू-पा-से किं तं पणगसुहमे 1 पणगमुहमे पंचविहे पण्णते तं जहा-किण्हे जाव सुकिल्ले / अस्थि पणगबहुमे तद्दव्वसमाणवण्णए नाम पण्णत्ते जे छउमत्येणं निगंण वा निग्गंथीए वा जाव पडिलेहियव्वे भवइ / से तं पणगसुहुमे // 2 // म-पा-से किं तं बीयमुहुमे 1 / बीयसुहुमे पंचविहे पण्णत्ते तं जहा-किण्हे जाव मुकिल्ले-अस्थि बीयमुहुमे कणियासमाणवण्णए नामं पण्णत्ते जे छउमत्थे णं जाव पडिलेहियव्वे भवइ / से तं बीयमुहमे // 3 // से किं तं हरियमुहुमे 1 / हरियमुहुमे पंचविहे पण्णत्ते तं-जहा किण्हे जाव मुक्किल्ले / अस्थि हरियमुहुमे पुढवीसमाणवण्णए नामं पण्णत्ते जे निग्येण वा निग्गंथीए वा जाव पडिलेहियव्वे भवइ / से तं हरियमुहुमे // 4 // .. मू-पा-से किं तं पुप्फमुहुमे 1 / पुष्फबहुमे पंचविहे पण्णत्ते तं जहा-किण्हे जाव मुक्किल्ले / अस्थि पुप्फमुहुमे रुक्खसमाणवण्णए नामं पण्णत्ते जे छउमत्थेणं जाव पडिलेहियव्वे भवइ से तं पुप्फसुहुमे // 5 // मू-पान // 454 //

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