Book Title: Jiravala Parshwanath Tirth Ka Itihas Author(s): Bhushan Shah Publisher: Mission Jainatva Jagaran View full book textPage 9
________________ जगजयवंत जीरावला = होंगे, पूर्व में जो होंगे वह खंडित होंगे। क्योंकि ज्यादातर भगवान नए हैं,जो पू. हिमाचलसूरिजी द्वारा प्रतिष्ठित हैं... प. पू. तिलोकविजयजी म. ने 7-7 बार चातुर्मास करके जीरावला तीर्थ का जीर्णोद्धार करवाया था। उसकी प्रतिष्ठा सं. 2020 में प. पू. आ. हिमाचल सू. म. के हाथों हुई। • जीरावला तीर्थ के प्राचीन मंदिर में 8 वी. शताब्दी से लेकर 15वीं शताब्दी तक के महत्त्वपूर्ण लेख थे। • जीरावला तीर्थ परमात्मा महावीर का विचरण क्षेत्र भी रहा है... • प्राचीन मंत्र कल्पों में जीरावला पार्श्वनाथ के कई मंत्र-स्तोत्र आदि मिलते हैं, उसमें खास तो प्रतिष्ठा के समय अभिमंत्रित अष्टगंध व सर्वौषधि चूर्ण से जीरावला पार्श्वनाथ दादा के मूलमंत्र लिखने की विधि मिलती है। जो परंपरा से लिखी जाती है। • जीरावलाजी तीर्थ में विराजमान पार्श्वनाथ प्रभुजी की मूल प्रतिमाजी पूर्व में दादा के नाम से प्रसिद्ध थी। जीरावलाजी तीर्थ का ऐसा ही कुछ प्रगट-अप्रगट इतिहास आपको प्रस्तुत ग्रंथ में मिलेगा.... आशा है कि इस इतिहास की पुस्तिका के द्वारा आप सब प्रतिष्ठा के अवसर पर...जीरावला जी तीर्थ के माहात्म्य से पूर्ण परिचित हो जाएंगे और प्रतिष्ठा के अमूल्य अवसर के साक्षी बनेंगे... इसी शुभकामना के साथ.... - भूषण शाह 1. श्री जीरावला तीर्थ दर्शन। 2. श्री जीरावला तीर्थ का इतिहास।Page Navigation
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