Book Title: Jiravala Parshwanath Tirth Ka Itihas
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran

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Page 19
________________ जगजयवंत जीवावला अंतरिक्ष पार्श्वनाथ एवं पोसीना पार्श्वनाथ की सुन्दर मूर्तियाँ विराजमान हैं। सोलहवीं देहरी का लेख संवत् घिस गया है पर यह ज्ञात होता है कि यह देहरी आदिनाथ भगवान की थी एवं इसकी प्रतिष्ठा में आचार्य हीरसूरिजी का नाम आया है पर वर्तमान में इसमें श्यामवर्ण पार्श्वनाथ, श्वेतवर्ण पार्श्वनाथ एवं श्यामवर्ण पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित हैं। सत्रहवीं देहरी में नवलखा पार्श्वनाथ, मक्षी पार्श्वनाथ एवं नवपल्लवीया पार्श्वनाथ की प्रतिमाएं हैं। ___ अट्ठारहवीं देवकुलिका के लेख पर आचार्य जयसिंहसूरि का नाम आया है, जयसिंहसूरिजी अपने समय के महान आचार्य हुए हैं। इस देहरी में इस समय शान्तिनाथजी, पार्श्वनाथजी एवं चंद्रप्रभुजी की सुन्दर मूर्तियाँ हैं। जयसिंहसूरिजी ने भरूच के प्रसिद्ध 'शकुनिका विहार नामक मुनिसुव्रतस्वामी के मंदिर के लिए तेजपाल से प्रचुर धन प्राप्त किया था। उनकी लिखी हुई मिली यह देवकुलिका तेरहवीं सदी के अन्त की होनी चाहिए। या हो सकता है उनकी शिष्य परम्परा ने इस देवकुलिका के लिए धन प्रदान करने के लिए उपदेश दिया हो। इन जयसिंहसूरिजी ने 'कुमारपाल चरित्र' की रचना की थी एवं ये कृष्णर्षिगच्छ के थे। __19वीं देहरी के लेख पर आचार्य भुवनसुन्दरसूरिजी का नाम आया है ये आचार्य सोमसुन्दरसूरिजी के तीसरे शिष्य थे जो बड़े विद्वान् थे, इस देहरी में इस समय यवलेश्वर पार्श्वनाथ, श्री वरेज पार्श्वनाथ तथा गांगाणी पार्श्वनाथ की प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित हैं। बीसवीं कुलिका पर वि. सं. 1412 का लेख है पर पास के खम्भे पर 1483 का लेख है। ये लेख जीर्णोद्धार के हैं। इक्कीसवीं कुलिका के खम्भों पर 1483 वि. का ही लेख है। इसमें चन्द्रप्रभु, पार्श्वनाथ एवं सम्भवनाथ भगवान की प्रतिमाएँ हैं। बाइसवीं कुलिका में पार्श्वनाथ, सम्मेतशिखर पार्श्वनाथ एवं पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमाएँ हैं। तेइसवीं कुलिका पर भी 1483 का लेख है, एवं इसमें नगीना पार्श्वनाथ, पार्श्वनाथ तथा शाचा पार्श्वनाथ विराजमान हैं। चौबीसवीं कुलिका में दो पार्श्वनाथ प्रभु की मूर्तियाँ हैं एवं एक धर्मनाथ भगवान की मूर्ति है। पच्चीसवीं कुलिका में भटेवा पार्श्वनाथ, सांवला पार्श्वनाथ एवं मनवाञ्छितपूरण पार्श्वनाथ प्रतिष्ठित हैं। छब्बीसवीं देहरी में महावीरस्वामी, पार्श्वनाथ एवं शान्तिनाथ भगवान विराजमान 1. बाद में इसे मस्जिद बना दिया गया। = 17

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