Book Title: Jiravala Parshwanath Tirth Ka Itihas
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ जगजयवंत जीरावला इसमें श्वेतवर्ण नाग रहित जीरावला पार्श्वनाथ के दोनों ओर भगवान पार्श्वनाथ की छोटी मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं। सेंतालिसवीं कुलिका के लेख पर आचार्य जिनचंद्रसूरिजी का नाम है एवं इसमें जोरवाड़ी पार्श्वनाथ, कम्बोई पार्श्वनाथ एवं चिन्तामणि पार्श्वनाथ प्रतिष्ठित हैं। अडतालीसवीं कुलिका पर सब देहरियों के लेखों से भिन्न सं. 1484 वि. का लेख है एवं आचार्य श्री हैं उदयचंद्रसूरि । इसमें श्री मण्डेरा पार्श्वनाथ, श्री अजितनाथ एवं पद्मप्रभ की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं। उंचासवीं देहरी पर 1412 वि. का लेख है एवं इसके आचार्य हैं विजयशेखर सूरिजी के शिष्य रत्नाकरसूरिजी । इस देहरी में वर्तमान में श्री नेमनाथ भगवान व श्रीघृतकल्लोल पार्श्वनाथ की प्रतिमाएँ हैं, पचासवीं देहरी में कापली पार्श्वनाथ, पार्श्वनाथ व ईश्वरा पार्श्वनाथ की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं। इक्यावनवीं देहरी में अमीझरा पार्श्वनाथ, पार्श्वनाथ व पोशीना पार्श्वनाथ भगवान हैं। इस अंतिम देहरी पर दो लेख हैं ऊपर 1483 वि. का एवं खम्भे पर 1481 का, ये लेख जीर्णोद्धार के ही हैं। इसमें महावीरस्वामी एवं शेरीशा पार्श्वनाथ भगवान की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं। इस प्राचीन मंदिर में कई महत्व के शिला लेख व प्रतिमाएँ बिराजमान हैं। आज ये सब लेख कहाँ हैं, यश शोध का विषय है। अब नूतन मन्दिर में यह सब लेख पुनः प्रतिष्ठित किए जाएँ यह भावना है। 20

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64