Book Title: Jiravala Parshwanath Tirth Ka Itihas
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Mission Jainatva Jagaran

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Page 16
________________ जगजयवंत जीरावला जीरावला तीर्थ के प्राचीन मंदिर का विवरण जीरावला तीर्थ में देवाधिष्ठीत अति प्राचीन जैन मंदिर था... यह मंदिर पार्श्वनाथ भगवान की शक्ति पीठ जैसा यंत्राकारमय था... इस मंदिर को कहीं से आकाश मार्ग से लाया गया हो ऐसी किंवदन्ती है.... मंदिर के सं. 2001 के बाद जब आमूलचूल जीर्णोद्धार हेतु उतारा गया तब मंदिर की नींव नहीं निकली यह इस बात को पूर्ण रूप से पुष्ट करता है। प्राचीन मंदिर का वृत्तांत - सन् 2001 से पूर्व 54 देहरी से युक्त एक अति प्राचीन मंदिर यहाँ शोभायमान था। इस मंदिर की निम्नलिखित विशेषताएँ थी। आइए प्राचीन मंदिर की भावयात्रा करें.... ___मंदिर के बाएँ हाथ की तरफ से चबूतरे के पास सं. 1851 का शिलालेख है इसमें आचार्य रंगविमलसूरि का नाम है एवं एक बड़े जीर्णोद्धार का उल्लेख है। उन्होंने उस समय यात्रार्थ आए संघ को उपदेश देकर रू. 30211/- का खर्च करवाकर शिखर का जीर्णोद्धार करवाया था। अब चलिये अन्दर। प्रवेश करते ही दरवाजे के अन्दर लोहे की जाली के पास तीन शिलालेखों के अंश हैं। एक में तो केवल एक पंक्ति है, उसके नीचे सं. 1511 का उल्लेख पढ़ने में आता है। तीसरा जाली के पास दो भागों में विभक्त है उसका सं. पढ़ने में नहीं आता । सामने है खेला मंडप इसके गुम्बज में सुनहरी चित्रकारी है। यहीं पर पूजा आदि के समय भक्त मण्डली अपनी संगीत लहरी से सबका मन मोह लेते हैं। शृङ्गार चौकी, इसके थम्बों पर भी सुनहरी काम है। यहीं पर सामने बाएँ हाथ तरफ शत्रुजय महातीर्थ का एवं दाएँ हाथ की तरफ तीर्थाधिराज सम्मेतशिखर के पट उत्कीर्ण हैं। गढ मंडप में बाईं तरफ ये पार्श्वयक्ष हैं एवं दाईं तरफ पद्मावती देवी हैं। इनकी मनोहर मूर्तियाँ मनवांछित फल प्रदान करने वाली हैं। मुख्य गम्भारे के प्रवेश द्वार के पास दाएँ बाएँ दोनों तरफ श्यामवर्ण की भगवान पार्श्वनाथ की भव्य प्रतिमाएँ हैं। सामने ही प्रभासन पर मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ के दोनों ओर पार्श्वनाथ भगवान की ही मूर्तियाँ हैं। मूलनायकजी की प्रतिष्ठा सं. 2020 वैशाख सुदि 6 सोमवार को नाकोड़ा तीर्थोद्धारक श्री हिमाचलसूरीश्वरजी एवं तिलोकविजयजी महाराज साहब द्वारा हुई थी। उसके पूर्व यहाँ नेमिनाथ भगवान की मूर्ति प्रतिष्ठित थी। ये नेमिनाथ भगवान अब मुख्य मंदिर से लगी दो देहरियों में से एक में प्रतिष्ठित हैं। मंदिर से ( 14

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