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[ जिन सिद्धान्त
निमित्त है। उसके उपचार से दो भेद हैं- (१) लोकाकाश
(२) लोकाकाश |
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प्रश्न -- लोकाकाश किसको कहते हैं ? उत्तर--जितने आकाश के क्षेत्रमें जीव पुद्गल धर्म. धर्म एवं काल द्रव्य है उतने श्राकाशके क्षेत्रका नाम लोकाकाश है | यह लोकाकाश असंख्यात प्रदेशी है ।
प्रश्न -- प्रदेश किसको कहते हैं ?
उत्तर --- आकाश के जितने हिस्से को एक पुद्गल परमाणु रोके उस हिस्से को ( क्षेत्रको ) प्रदेश कहते हैं | प्रश्न -- लोक की मोटाई, ऊँचाई और चौड़ाई कितनी है ?
उत्तर -- लोक की मोटाई उत्तर तथा दक्षिण दिशा में ७ राजू है, चौड़ाई पूर्व तथा पश्चिम दिशामे मूल में (जड़मे) ७ राजू है और क्रमशः घटकर ७ राजकी ऊँचाई पर चौड़ाई एक राजू है, फिर क्रमशः ऊपर १० राजूकी ऊँचाई पर चौड़ाई ५ राज है, फिर क्रमशः घटकर १४ राजू की ऊँचाई पर चौड़ाई १ राजू है और ऊर्ध्व तथा वो दिशा मे ऊँचाई १४ गज् है । सब मिलकर ३४३ धन राज़ है ।
प्रश्न -- लोकाकाश किसको कहते है ?
उत्तर -- लोक के बाहर के आकाश को अलोकाकाश