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[जिन सिद्धान्त प्रश्न--आयुकर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर--जो कर्म आत्मा को नारक, तिर्यञ्च, मनुष्य और देव के शरीर में रोक रक्खे, उस कर्म का नाम आयुकर्म है।
प्रश्न-आयुकर्म के कितने भेद हैं ?
उत्तर-आयुकर्म के चार भेद हैं-( १ ) नरकायु, (२) तिर्यंचायु, (३) मनुष्यायु, (४) देवायु ।
प्रश्न-नामकर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर--जो कर्म जीव को नाना शरीर धारण करावे उसका नाम नामकर्म है।
प्रश्न-नामकर्म के कितने भेद हैं ?
उत्तर--नामकर्म के ४२ भेद हैं-(१) गति चारः[१-नरक, २-तिर्यंच, ३-मनुष्य, ४-देव ] (२) जाति पांचः-[ एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय, ](३) शरी र पांच-[१ औदारिक, २ बैंक्रियिक, ३ आहारक, ४ तेजस, ५ कार्माण] (४) अंगोपांगतीन [१ औदारिक, २ वैक्रियिक, ३ आहारक] (५) निर्माण, (६) बंधन पांच [१ औदारिक २ चक्रियिक ३ आहारक, ४ तेजस, ५ कार्माण ] (७)संघातपाँच, [१ औदारिक, २ चैक्रियिक, ३ आहारक, ४ तेजस, ५ कार्माण]