Book Title: Jina Siddhant
Author(s): Mulshankar Desai
Publisher: Mulshankar Desai

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Page 197
________________ जिन सिद्धान्त १८९ १३६ प्रकृतियों की सत्ता रहती है। प्रश्न-क्षीणमोह नामक बारहवें गुणस्थान का क्या स्वरूप है, और वह किसके होता है ? ___ उत्तर-मोहनीय कर्म के अत्यन्त क्षय होने से अत्यन्त निर्मल अविनाशी यथाख्यात चारित्र के धारक मुनि के क्षीणमोह गुणस्थान होता है। प्रश्न-वारहवें गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों का बंध होता है ? . . उत्तर-एक मात्र साता वेदनीय का ही बंध होता है। ___ प्रश्न-बारहवें गुणस्थान में उदय कितनी प्रकृतियों का होता है ? ___ उत्तर--ग्यारहवें गुणस्थान, में जो ५६ प्रकृतियों का उदय होता है। उनमें से व्युच्छित्ति, वज्रनाराच, और नाराच दो प्रकृतियों के घटाने पर ५७ प्रकृतियों का उदय होता है। प्रश्न-बारहवें गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों की सत्ता रहती है ? ___ उत्तर--दसवें गुणस्थान में क्षपक श्रेणी वाले की अपेक्षा १०२ प्रकृतियों की सत्ता है, उनमें से व्युच्छित्ति, संज्वलन लोम एक प्रकृति के घटाने पर १०१ प्रकृतियों की सत्ता है।

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