Book Title: Jina Siddhant
Author(s): Mulshankar Desai
Publisher: Mulshankar Desai

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Page 185
________________ १७७ जिन सिद्धान्त ] प्रश्न --- चौथे गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों की सत्ता रहती है ? उत्तर - १४८ प्रकृतियों की सत्ता रहती है, परन्तु चायिक सम्यग्दृष्टि के १४१ की ही सत्ता है । प्रश्न- देशविरत नामक पांचवें गुणस्थान का क्या स्वरूप है ? उत्तर ---प्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ के उदय से सकल संयम नहीं होता है, परन्तु अप्रत्या ख्यानवरण क्रोध, मान, माया, लोभ के उपशम से श्राचक व्रत रूप देश चारित्र होता है, जिसको देशविरत नामक पांचवा गुणस्थान कहते हैं । प्रश्न - पांचवे गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों का बंध होता है ? - उत्तर - चौथे गुणस्थान में जो ७७ प्रकृतियों का बंध कहा है उनमें से व्युच्छिन अप्रत्याख्यानवरण क्रोध, मान, माया लोभ, मनुष्यगति, मनुष्यगत्यानुपूर्वी, मनुष्य आयु, औदारिक शरीर, श्रदारिक अंगोपांग, चऋपभानाराच संहनन इन दश प्रकृतियों के घटाने पर ६७ प्रकृतियों का बंध होता है। k प्रश्न --- पांचवे गुणस्थान में उदय कितनी प्रकृतियों का होता है ?

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